उच्चारण -
अपने अंतरजाल पर, इक पीपल का पेड़ ।
तोता-मैना बाज से, पक्षी जाते छेड़ ।
पक्षी जाते छेड़, बाज न फुदकी आती ।
उल्लू कौआ हंस, पपीहा कोयल गाती ।
पल-पल पीपल प्राण, वायु ना देता थमने ।
पाले बकरी गाय, गधे भी नीचे अपने ।
नवगीत : चंचल मृग सा
अपने अंतरजाल पर, इक पीपल का पेड़ ।
तोता-मैना बाज से, पक्षी जाते छेड़ ।
पक्षी जाते छेड़, बाज न फुदकी आती ।
उल्लू कौआ हंस, पपीहा कोयल गाती ।
पल-पल पीपल प्राण, वायु ना देता थमने ।
पाले बकरी गाय, गधे भी नीचे अपने ।
नवगीत : चंचल मृग सा
भक्ति-भाव लख आपका, हिरदय भाव-विभोर ।
प्रभु के दर्शन हो गए, शैशव संगत शोर ।।
अनुभव कर के भूख का, उस गरीब को देख ।
दिन भर इक रोटी नहीं, मिटी हस्त आरेख ।।
आदत अपनी छोड़ के, बोले मीठे बोल ।
निश्चित मानो शख्स वो, धोखा देकर गोल ।।
ए जी भारत रत्न को, काहे वे बेचैन ।
नव-धनाड्य से मूंदते, क्यूँ कर अपने नैन ।
क्यूँ कर अपने नैन, रत्न सारे *किन लायें ।*खरीद
निश्चित मानो शख्स वो, धोखा देकर गोल ।।
ए जी भारत रत्न को, काहे वे बेचैन ।
नव-धनाड्य से मूंदते, क्यूँ कर अपने नैन ।
क्यूँ कर अपने नैन, रत्न सारे *किन लायें ।*खरीद
भारत की क्या बात, जगत सिरमौर कहायें ।
रविकर उनकी पूँछ, स्वर्ग तक देखो बाढ़ी ।।
हैं ना सारे चोर, बिना तिनके की दाढ़ी ।।
लम्हों का सफ़र
सात अरब की भीड़ में, अंतर-मन अकुलाय ।
तनकर तन्मय तन तपत, त्याग तमन्ना जाय ।।
सरोकार
सरोकार सारे रखें, अक्सर डिब्बा बन्द ।
बच्चों के इस प्रश्न को, गुणी उठायें चन्द ।
गुणी उठायें चन्द, रास्ता स्वयं निकालें ।
लम्हों का सफ़र
सात अरब की भीड़ में, अंतर-मन अकुलाय ।
तनकर तन्मय तन तपत, त्याग तमन्ना जाय ।।
सरोकार
सरोकार सारे रखें, अक्सर डिब्बा बन्द ।
बच्चों के इस प्रश्न को, गुणी उठायें चन्द ।
गुणी उठायें चन्द, रास्ता स्वयं निकालें ।
दें बेहतर जीवन, बना के अपना पालें ।
वन्दनीय सज्जन, सभी बच्चे हैं प्यारे ।
अभिभावक बिन किन्तु, अंध में भटकत सारे ।।
दिनेश की टिप्पणी - आपका लिंक
http://dineshkidillagi.blogspot.in
http://dineshkidillagi.blogspot.in
जाता हूँ सभी लिंक्स पर ...
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति ..
ReplyDeleteअच्छा प्रयास शुरू किया है आपने सतत जारी रखिये
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