राय-बरेली फिर सजे, दिखे नए युवराय ।
नव पीढ़ी जो मंच पर, मम्मी मन हरषाय।
मम्मी मन हरषाय, देख के नाती-नातिन ।
राहुल उम्र-दराज, साल जो बीते छिन-छिन ।
ख़्वाब व्याह का देख, हारती थककर डेली ।
राज-तंत्र की बेल, बढ़ी इन रायबरेली ।।
पाला पोसा शौक से, बढ़ी नहीं जब बेल ।
तब चुनाव के मंच पर, दिखा अनोखा खेल ।
दिखा अनोखा खेल, डोर सत्ता की पकड़े ।
नौनिहाल अल-बेल , खड़े मैया को जकड़े ।
सदियों से परिवार, देश का रविकर आला ।
अगली पीढ़ी ठाढ़, पड़े अब इनसे पाला ।।
सटीक राजनैतिक कुण्डलियाँ .
ReplyDeleteVery good Work
ReplyDeleterajnaitik manch ki achchi prastuti
ReplyDeleteक्या बात है! बहुत ख़ूब
ReplyDeleteसदियों से परिवार, देश का रविकर आला ।
ReplyDeleteअगली पीढ़ी ठाढ़, पड़े अब इनसे पाला ।।
....rajniti ka khel ujagar karti sateek prastuti..
बहुत बढ़िया प्रस्तुति..
ReplyDeleteपरिवार की जागीर समझ रहे हैं...।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद |
Deleteपाला पोसा शौक से, बढ़ी नहीं जब बेल ।
ReplyDeleteतब चुनाव के मंच पर, दिखा अनोखा खेल ।
क्या धोया है कथित नंबर एक खानदान को .
:):) बहुत बढ़िया
ReplyDelete