मेरी शर्ट सफ़ेद, दूजे की गन्दी दिखे ।
दुनिया भर के भेद, फिर भी हम सब एक हैं ।
दूजे की आसान, हंसी उड़ाना है सखे ।
गिरेबान नादान, थोडा सा तो सिर झुका ।।
क्षमा सहित -
है आश्रम अ-व्यवस्थिति, अनमना --
किन्तु अंतरजाल पर चापल लगे ।
लेखनी को देख के समझा छड़ा --
पर हकीकत में कवी छाँदल लगे ।।
anupama's sukrity.
जैसे शिशु को हवा में, देता पिता उछाल ।
फिर भी मुस्काता रहे, विश्वासी शिशु बाल ।
वैसे प्रभु को सौंप के, हो जाएँ आश्वस्त ।
दिशा दशा सुधरें सकल, हों कल मार्ग प्रशस्त ।
सिफ़र सिफ़ारिश में जुड़ा, ज़ीरो से क्या रीस ।
हीरो आलू छीलता, घर का बन्दा बीस ।
आतंकी महफूज हैं, सामर्थ्यहीन कानून ।
खुलेआम बाजार में, दे मानवता भून ।।
आस बेंचते पास में , मिलते दुष्ट दलाल ।
न हर्रे ना फिटकरी, उनकी गोटी लाल ।।
नेता पर मत मूतना, पूरा गया घिनाय ।
खाद और पानी मिले, दूर तलक जा छाय ।।
खबर बेखबर खब्तमय, कर खरभर उत्पन्न ।
मनोदेवता ने किया, मनोनयन मनमीत |
दिखे प्रीति या रुष्टता, होय युगल की जीत |
होय युगल की जीत, परस्पर बढे भरोसा |
माता बनती मीत, संतती पाला पोषा ||
मंगलमय हो साथ, स्वास्थ्य हो सबसे आला |
आगे पच्चिस साल, डाल चांदी की माला ||
दिखे प्रीति या रुष्टता, होय युगल की जीत |
होय युगल की जीत, परस्पर बढे भरोसा |
माता बनती मीत, संतती पाला पोषा ||
मंगलमय हो साथ, स्वास्थ्य हो सबसे आला |
आगे पच्चिस साल, डाल चांदी की माला ||
कर छल का एहसास पुन: ,
छलके नैनों के बाद रही ।
खाकर धोखा भूल गया,
पर याद तुम्हारी याद रही ।।
दिनेश की टिप्पणी - आपका लिंक
http://dineshkidillagi.blogspot.in
http://dineshkidillagi.blogspot.in
बहुत बढ़िया...
ReplyDeleteदिनेश जी,काव्यमय टिप्पणी देने के लिए आभार,..
Deleteसराहनीय प्रस्तुति,
NEW POST...फुहार...हुस्न की बात...
ये अंदाज़ अच्छा लगा।
ReplyDeleteवाह! बहुत बढ़िया...
ReplyDeleteजैसे शिशु को हवा में, देता पिता उछाल ।
ReplyDeleteफिर भी मुस्काता रहे, विश्वासी शिशु बाल ।
वैसे प्रभु को सौंप के, हो जाएँ आश्वस्त ।
दिशा दशा सुधरें सकल, हों कल मार्ग प्रशस्त ।
ये पंक्तियाँ बहुत ही अच्छी लगी ....सटीक प्रस्तुति .
लेखनी को देख के समझा छड़ा --
ReplyDeleteपर हकीकत में कवी छाँदल लगे ।।
शादी से पहले मुक्त छंद ,छंद बद्ध हो जाए सखे ,जल्दी कर ले ब्याह सखे .