Saturday, 25 February 2012

दूजे की आसान, हंसी उड़ाना है सखे --


मेरी शर्ट सफ़ेद, दूजे की गन्दी दिखे ।
दुनिया भर के भेद, फिर भी हम सब एक हैं ।

दूजे की आसान, हंसी उड़ाना है सखे ।
गिरेबान नादान, थोडा सा तो सिर झुका ।। 


क्षमा  सहित -
है आश्रम  अ-व्यवस्थिति, अनमना --
किन्तु अंतरजाल पर चापल लगे । 

लेखनी को देख के समझा छड़ा --
पर हकीकत में कवी छाँदल लगे ।। 


  anupama's sukrity. 

जैसे शिशु को हवा में, देता पिता उछाल ।
  फिर भी मुस्काता रहे, विश्वासी शिशु बाल ।

वैसे प्रभु को सौंप के, हो जाएँ आश्वस्त ।
दिशा दशा सुधरें सकल,  हों कल मार्ग प्रशस्त ।  


सिफ़र सिफ़ारिश में जुड़ा, ज़ीरो से क्या रीस ।
हीरो आलू छीलता, घर का बन्दा बीस । 


आतंकी महफूज हैं, सामर्थ्यहीन कानून ।
खुलेआम बाजार में, दे मानवता भून  ।।

आस बेंचते पास में , मिलते दुष्ट दलाल ।
न हर्रे ना फिटकरी, उनकी गोटी लाल ।।

नेता पर मत मूतना, पूरा गया घिनाय ।
खाद और पानी मिले, दूर तलक जा छाय ।।


खबर बेखबर खब्तमय, कर खरभर उत्पन्न ।
खटक अटक लेता गटक, जन हो जाता सन्न ।।


  विचार 
 मनोदेवता ने किया, मनोनयन मनमीत |
दिखे प्रीति या रुष्टता, होय युगल की जीत |
होय युगल की जीत, परस्पर बढे भरोसा |
माता बनती मीत, संतती पाला पोषा ||
मंगलमय हो साथ, स्वास्थ्य हो सबसे आला |
आगे पच्चिस साल,  डाल चांदी की माला ||  



कर छल का एहसास पुन: , 
छलके नैनों के बाद रही ।
खाकर धोखा भूल गया, 
पर याद तुम्हारी याद रही ।।

दिनेश की टिप्पणी - आपका लिंक
http://dineshkidillagi.blogspot.in

6 comments:

  1. बहुत बढ़िया...

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    1. दिनेश जी,काव्यमय टिप्पणी देने के लिए आभार,..
      सराहनीय प्रस्तुति,

      NEW POST...फुहार...हुस्न की बात...

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  2. ये अंदाज़ अच्छा लगा।

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  3. जैसे शिशु को हवा में, देता पिता उछाल ।
    फिर भी मुस्काता रहे, विश्वासी शिशु बाल ।

    वैसे प्रभु को सौंप के, हो जाएँ आश्वस्त ।
    दिशा दशा सुधरें सकल, हों कल मार्ग प्रशस्त ।

    ये पंक्तियाँ बहुत ही अच्छी लगी ....सटीक प्रस्तुति .

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  4. लेखनी को देख के समझा छड़ा --
    पर हकीकत में कवी छाँदल लगे ।।
    शादी से पहले मुक्त छंद ,छंद बद्ध हो जाए सखे ,जल्दी कर ले ब्याह सखे .

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