Friday, 29 April 2011

इस इक्कीस क़यामत है, भ्रामक है अति भ्रामक है

सब घबराहट  नाहक है, धरती बड़ी  नियामक है
इस  इक्कीस  क़यामत है, भ्रामक है अति भ्रामक है
            पावन पुस्तक का आधार, लेकर उल्टा-पुल्टा सार
            ऐसे खोजी  को धिक्कार, करते भय का कटु-व्यापार,
            गर इसपर विश्वास अपार, नहीं  पंथ का दुष्प्रचार
            करके  पक्का सोच-विचार, खुद को ले जल्दी से मार
जो आनी सचमुच शामत है, इस  इक्कीस  क़यामत है
भ्रामक है अति भ्रामक है, धरती बड़ी  नियामक है
            सर्दी इधर उधर बरसात, घटते दिन तो बढती रात
            लावा से हो सत्यानाश,  बढती फिर जीने की आस
            तेल उगलती तपती रेत, बन जाते  उपजाऊ  खेत 
            करे संतुलित सारी चीज, अन्तर्निहित रखे हर बीज
            पाप हमारे करती माफ़,  बाधाओं को करती साफ़ 
सब घबराहट  नाहक है, धरती बड़ी  नियामक है
इस  इक्कीस  क़यामत है, भ्रामक है अति भ्रामक है

Wednesday, 27 April 2011

पढ़ते-पढ़ाते बटुकनाथ-जूली

करेले  से  मीठा  बनाते-बनाते, वो काफी का काढ़ा बनाते रहे
पढ़ते-पढ़ाते बटुकनाथ-जूली, यूँ  सम्बन्ध गाढ़ा बनाते रहे  
माशूक-आशिक की जोड़ी अनोखी,  नए प्रेम-सन्देश भाते रहे
बने एक दूजे की खातिर बाराती, वे आते रहे गीत गाते रहे    

गर हो इजाजत तेरी, इक बार छू के देखूं

18-11-1994 की वो पाती,  जो पाती तो -
हम जानते हैं 'रविकर', जिस चीज की जरूरत 
जो ढूंढ़ते हो आशिक - महबूब खूबसूरत !
                 न खूबसूरत हूँ मैं, गबरू-जवान इतना 
                 पर प्यार पूरा पाए, तू  चाहती है जितना 
तुझसे न कुछ भी चाहूँ , चाहूँ तो बात इतनी 
मीठी औ मद्धिम बोली, मधु में मिठास जितनी 
                 इक आँच  सी  लगे है, जो पास तेरे होता   
                 तू  साथ  मेरे  होती, सपने  रहूँ  पिरोता 
मस्ती तुम्हारी देखी तेरा बदन निहारा
ऐ जान जाने-जाना, दे दे तनिक सहारा 
                 तुझ  सा  न  मैंने  कोई,  है  खूबसूरत  देखा 
                 मलमल सी काया सुन्दर, हाथों की भाग्य-रेखा  
गर हो इजाजत तेरी, इक बार छू के देखूं 
इक बार छू के देखूं ,  दो  बार छू के देखूं        

ism-prism फायर घेर सफायर,

                        (1)
परिसर  के  माहौल  को,  कैसे  करे  खराब 
मस्ती में लुढ़की पड़ी,   बोतल  देखे  ख्वाब   
बोतल  देखे  ख्वाब ,  चरस गांजा  हेरोइन,
हुक्का और सिगार, छिपकली घूमें हरदिन
हो 'रविकर' मदहोश, जिंदगी करनी बदतर
फायर  घेर  सफायर,  फैले  पूरे  परिसर !! 
                               (2)

प्लास्टिक की बोतलें ढलने लगीं

                    (1) 

भरते सियासत बोतलों में-काँच में 
करते सियासत महफिलों में-नाच में
'अन्ना' असर सॉलिड सियासतदां सुन-      
 हो   सके  न  अब  सियासत  जाँच  में   
                   (2)                    
दोस्ती थी बोतलों की,  काँच से
उठते रहे परदे हमेशा साँच  से 
प्लास्टिक की बोतलें ढलने लगीं 
दूर रहने लग पड़ी  वो आँच से     

ISM-PRISM गुरू बदनाम हो गया

धूं-धूं कर जलते रहे , भट्ठे  में  सन्ताप 
लगा देवियों का मगर, इस बारी अभिशाप 
 इस बारी अभिशाप, तमाशा आम हो गया 
बन्दर-बाँट का काम, गुरू बदनाम हो गया 
बढ़ी भूख तो हो गई, 'रविकर' भारी  चूक,   
भोजन में विस्फोट से, गया थोबड़ा टूट 

Tuesday, 26 April 2011

चोर-चोर मौसेरे भाई

पा जी नाहक करें पिटाई ,एक प्लेट की खीर मलाई 
चाट-चूट सब मिलकर खाई, खट्टी-मीठी सदा छुपाई 
बैठ पास खुब चोंच लड़ाई, क्यूँ पहाड़ करता इक राई  
मिथ्या करता जगत-हंसाई , चोर-चोर मौसेरे भाई 

Monday, 25 April 2011

था निठल्ला घूमता, व्यर्थ में मशगूल की

 (1)
पंचायत जिसके परमेश्वर हैं पञ्च 
जो कराएँ पंचनामा या करे प्रपंच 
(2)
 तूने बड़ी भूल की, जो दोस्ती क़ुबूल की 
था निठल्ला घूमता, व्यर्थ में मशगूल की
             (3)
 जिंदगी जीते हैं, मदिरा पीते हैं
भावों की क्या, घट-घट रीते हैं 
   
                   (4)
महफूज़ हम क्योंकर रखे अपना ईमान ?
सुन्दरता पर अपने करो जो, तुम गुमान.
है तबीयत में तुम्हारे इत्मीनान
सितम सहते बंद कर अपनी जुबान .

                      (5)
तू नहीं तेरी यादें हैं वो,
अधिक सताती हैं जो 
                      (6) 

ऐसा उठा-उठा के पटका है मेरा दिल. 
लाखों करम हुए  पर चूर न हुआ
             

उम्मीद अगर उन्नीस होगी,

                     (1)
1988 से कोई अप्ग्रेड़ेसन नहीं मिली,  चिंता नहीं क्योंकि -
उम्मीद अगर उन्नीस होगी,
ख़ुशी खुद-ब-खुद  बीस होगी-
तीन-पांच करने से जनाब--
कुछ क्षोभ होगा बड़ी रीस होगी..
निष्ठां से निभाए जा फ़र्ज़,
ख़ुशी भरपूर नसीब होगी..
दूसरों की  आमदनी मत देख 
नहितो, जिंदगी अजीब होगी..
करता जा निष्काम कर्म,
अन्यथा दर्द होगा, टीस होगी

                 (2) 
कुमार शिवा ने MNNIT से बी टेक कर TCIL ज्वाइन किया आज-कल आबुधाबी में पोस्टेड हैं.
मनु गुप्ता NIT दुर्गापुर से बी टेक  कर TCSL ज्वाइन कर रही हैं. स्वस्ति बी टेक UP के गवर्नमेंट कालेज से कर रही है. अपने कैरिअर का गम भूल कर---
दिग-दिगंत बौराया खुश हूँ
मादक  बसंत आया खुश हूँ 
तोते सदा पुकारे खुश हूँ 
पर मैना दुत्कारे, खुश हूँ 
काली कोयल कूके खुश हूँ 
लोग होलिका फूंके खुश हूँ 
सरसों पीली फूली खुश हूँ 
शीत बची मामूली खुश हूँ 
भौरां मद्धिम गाये खुश हूँ 
तितली मन बहलाए खुश हूँ 
भाग्य हमारे जागे खुश हूँ 
दुःख-दारिद्र, भागे खुश हूँ

हटे दीवाल से जब, बिके तू पैसा-पैसा

                (1)
ये  हैं  बड़े पेड़, बेहद  सड़े  पेड़ 
बहुतै खतरनाक, टेढ़े खड़े पेड़ 
अब-तब करें देर, है बड़ी अंधेर 
घोंसले मिट रहे, जिदपर अड़े पेड़  
                                                     (2)
पद का मद बड़ा भारी है, ये  जो  कुर्सी है,  सरकारी  है
कर कल्याणकारी कार्य, अन्यथा पद-प्रहार की बारी है   
                        (3)
अजी क्यों ऐंठा ऐसा, लगे इक गोइठा जैसा
हटे  दीवाल  से  जब, बिके  तू   पैसा-पैसा
                          (4)
बेहरा, बना  आज बरगद,टूटी वर्जनाएं,खुली सरहद,
इनकी साया में लगे पौधे, अब हो चुके कमजोर बेहद                                                          (5) 
जटा बरगद की, फैल चुकी ऐसे-
तिनका भी 'रविकर' उग पाए कैसे  ?
           (1)
असरदार असरहीन हो गए,सरदार के अधीन हो गए
प्रतिकूल प्रर्यावरण में वे, माईनिंग की हुई जमीन हो गए
            (2)

धन बाद  में  पहले पटना है  
स्कालर्स का भाग लेना सामान्य घटना है
उनका असर ही है कुछ  ऐसा 
घटना है, नहीं तो पटना है
            (3)
सैंया भये कोतवाल, करते रहो बवाल
मिनी मनी-प्लांट, हर-खता देगा टाल
            (4)
उस  इमली  की  छाया  तले
दो भले 
मिल ही रहे थे गले कि- 
इक कार आ गई
-बेकार आ गई (मैं)
-बेकार आ गई (तू)
सच-मुच बेकार आ गई (कार)

          
                      (5)

बास जैसा कहे, वैसा करते  रहो. 
जो पहले सहा है, तो अब भी सहो.
                           (6)
ये अपना बास है, काटना जानता है 
थूकना जानता है, चाटना जानता है

झल्ला है अफरीदी

        (1)
शहरी ने पूछा - स्टुडेंट्स यहाँ क्या करने आते हैं?
एम्प्लोयी का जवाब - मूँछ उगाने, क्योंकि इंटेलिजेंसी तो बढती नहीं,
                                 बस चेहरे पर चेंज आता है.
शहरी- और आपसब यहाँ क्या करने आते हैं??
EMPLOYEE-पूँछ उगाने. 
शहरी- मतलब?
EMPLOYEE-परिवार बढाने के अलावा और क्या करते हैं हम?
               
                    (2)
किसी कालोनी में MOTERCYCLE / कारों की संख्या बदने का कारण
मैडमों को उनकी सहेलियों की यह सलाह  है-
" नहीं खरीदते तो रोज लड़ाई करनी  शुरू  कर दो " 
मजेदार चीज ये कि,  न तो मैडम और न साहब ही वाहन  बाहर  ले जाते हैं.
ऑटो ही प्रिय सवारी बनी रहती है.
                    
                  (3)

तेंदुलकर अब भी लिटिल मास्टर कहला रहे, क्या ग्रैंड-मास्टर चेस की बपौती है?
उन्हें ग्रैंड मास्टर कहना शुरू करता हूँ मै, तुम भी कहो, कल दुनिया भी कहेगी .
ग्रैंड मास्टर सचिन तेंदुलकर

  (1)
मोहाली   में
पाक   की  हार 
झल्लाए  अफरीदी. 
भारतीयों  को बताता तंग-दिल.
झल्ला  है  अफरीदी,
हार  से, पाकियों की मार से गया  है  हिल.

                 (2)
राजपक्षे  हैं  बड़े  अच्छे.
121 करोड़ पडोसी खुश  कर  दिए, 
अपनी  झोली  में  आंसू  भर  लिए.
आज रावण होता 
राजपक्षे को बड़े अच्छे से धोता.

ISM-PRISM किसी का कुरता झाड़े

        (1)
पीढियां  दर  पीढियां 
फूंक करके बीड़ियाँ 
मौत अपनी मर गए
चढ़ सके न  सीढियाँ  
             (2)
लंगड़ा रही जो घोड़ियाँ 
वो चढ़ सकी  न सीडिया  
असफल युवा कहता फिरे
ये रिश्ते,  हमारी बेडिया
                           (3)
 धोती  भाड़े की पहन, किरमिच जूता धार  
 पगड़ी के लटकन हिलै, बाइक तीन सवार
 बाइक तीन सवार,  लगे हैं रंग जमाने
 घूमैं सीना तान,  चले खुब नाम कमाने
 खुलिहै लेकिन पोल, जबै  दिन अइहैं गाढे 
 शेखी रहे बघार किसी का कुरता झाड़े
               

हमारे अन्ना हजारे

गाँधी   से  प्यारे, हमारे  अन्ना हजारे 
जंतर-मंतर के किनारे, आमरण अनशन के सहारे 
नेताओं  की  बखिया  उघारे 
भ्रष्टाचार को  पोसती सरकारें, बिडला-मंदिर  की  ओर  ताकें   
आज गांधी  गांधी  को  आँके   

कांग्रेस सन्देश के सम्पादक अनिल शास्त्री ने पत्रिका में 
शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की 
जाति का उल्लेख किया है ! 
पूछने पर  सफाई  दी  गई  की  जीवन-परिचय 
ऐसे ही लिखे जाते हैं-
शास्त्री जी ! राहुल और प्रियंका  के जीवन-परिचय 
कब प्रकाशित कर रहे हैं आप ?
क्या महाजन और चोपड़ा लिखेंगे उसमे ?

बोतलों की शक्ल ही, असली नशा उत्तेजना

Reliable sources have revealed that some of the Ladies’ hostels in Ameerpet were witness to a surprise check recently. Much to the surprise, it was discovered that number of beer bottles were found hidden in few rooms. This led to a moment of disbelief among those present.
However, the girls are getting practical and say that they are compelled to have beer to beat the summer heat. The concern is that if girls also get to beer and whisky like this, then one can imagine where the society is heading and how the future generations will be.


बोतलों का नाच-नंगा, न नजर आता कभी ।
हाथ धोकर जाम के पीछे पड़े शायर सभी ।।

                      जाम में होता  नशा तो  नाचती बोतल दिखे । 
                       है  सरासर  झूठ  नादाँ,   न  नशा दारू चखे ।।

बोतले  कुछ यूँ  पड़ी थी, होस्टल  के सामने  । 
देखने भर से नशे में, सर लगे सर थामने ।। 

                       शायरों की सोच को झटका लगा जो एक दिन ।
                       बोतलें  खाली लिए वे, झूमते माशूक बिन ।।

मन गई होली-दीवाली दूर बीयर-बार से ।
चूम कर के बोतलों को, दूर रह के यार से ।।

                         बोतलों की  शक्ल ही, असली  नशा  उत्तेजना ।
                         चौक-चौबारे में चुस्की, मौज कर मस्ती मना ।।

Wine Bottles

ठोकिये फ़ौरन गुल्ली

                    
औरन की फुल्ली लखैं , आपन  ढेंढर  नाय
ऐसे   मानुष   ढेर  हैं,   चलिए  सदा  बराय     
चलिए सदा बराय,  काम  न अइहैं भइया
करिहैं न सहयोग, जरुरत परिहै  जेहिया
कह 'रविकर' समझाय, ठोकिये फ़ौरन गुल्ली 
करिहैं   न  बकवाद,   देख  औरन  की फुल्ली

फुल्ली = बहुत ही छोटी गलती 
ढेंढर = ढेर सारा दोष
                     

ISM-PRISM

डा. इक़बाल ने ISM  के बजाय CMRI में शादी की पार्टी दी. 
ISM के निदेशक एवं 17 प्रोफ़ेसर भी पार्टी में  गए . 
बधाई,
पार्टी जबरदस्त थी
शायद  विश्व-विख्यात ISM में अच्छे सामुदायिक भवन की कमी है.

सत्य साईं

           सत्य साईं को मेरे जीवन का पहला प्रणाम
अ)  आपके जीवन में आप  की  कोई  इच्छा आपके सोचते ही अवश्य पूरी हुई होगी.
ब) आत्मा परमात्मा में विलीन हो जाती है.
स) सत्य साईं ऐसे ही महापुरुष हुए जिनकी आत्मा परमात्मा के बेहद करीब थी. 
द) और बिंदु (अ) पर किये गए सतत एवं सात्विक प्रयास ने उन्हें भगवान बना दिया. 

                                                (1) 

सन्त-महन्त 
दीन-दुखियों का दर्द करके दूर 
परोपकार से 
बन जाते भगवन्त  
परन्तु इनमे से कुछ 
है लगन्त
हाँ, लगन्त 
सचमुच महाचंट
                                            (2)

कल कलमाड़ी 
को मिला कामन-वेल्थ में मेडल
दरअसल हो रहा था डोप-टेस्ट 
ही इज द बेस्ट 
देर है अंधेर नहीं 
अब आज 
खुलेंगे राज  
जायेंगे कइयों के सिर 
कइयों के ताज