सब घबराहट नाहक है, धरती बड़ी नियामक है
इस इक्कीस क़यामत है, भ्रामक है अति भ्रामक है
पावन पुस्तक का आधार, लेकर उल्टा-पुल्टा सार ऐसे खोजी को धिक्कार, करते भय का कटु-व्यापार,
गर इसपर विश्वास अपार, नहीं पंथ का दुष्प्रचार करके पक्का सोच-विचार, खुद को ले जल्दी से मार
जो आनी सचमुच शामत है, इस इक्कीस क़यामत है
भ्रामक है अति भ्रामक है, धरती बड़ी नियामक है
सर्दी इधर उधर बरसात, घटते दिन तो बढती रातलावा से हो सत्यानाश, बढती फिर जीने की आस
तेल उगलती तपती रेत, बन जाते उपजाऊ खेत
करे संतुलित सारी चीज, अन्तर्निहित रखे हर बीज
पाप हमारे करती माफ़, बाधाओं को करती साफ़ सब घबराहट नाहक है, धरती बड़ी नियामक है
इस इक्कीस क़यामत है, भ्रामक है अति भ्रामक है