Wednesday 11 May 2011

       (1)
17 -04 -2004  को +2 की  रसायन शास्त्र की परीक्षा दे रहे थे
मनु गुप्ता, कुमार शिवा, विभोर सक्सेना और अफसर रिजवी
प्रोफेसर सक्सेना एवं प्रोफ़ेसर रिजवी
डी पी एस के फेयरवेल की बात कररहे थे-
विभोर ने फेयरवेल के लिए 5000 /= का
कुछ ख़रीदा, रिजवी ने भी इसी तरह की बात कही-
मैंने बोलने की गलती की, क़ि मेरे बच्चों ने कुछ नई डिमांड
नहीं की. छुटते  ही रिजवी बोले -
हाँ, मनु-शिवा आपकी औकात जानते हैं-
                         (2)

टीचर्स कालोनी में रहते है हम, और  तुम भी
हम हैं तकनीकी कर्मचारी, करा करते तुम अफसरी
तुम्हे टेलीफोन और इन्टरनेट की सरकारी सुविधा 
हम खर्च करते हैं हमेशा पाकेट से अपनी
तुम्हारे घर  सरकारी  स्टेशनरी से  आये   होर्लिक्स 
हम होर्लिक्स की कटौती  कर लाते हैं स्टेशनरी 
क्या  होर्लिक्स ही  कारण   बन गया है,
जो आपके बच्चे देखते हैं हमारे बच्चों में बेचारगी-
मत भूले !   इन चौबीस क्वार्टर में - 10 इंजीनियर
6  एम  बी ए और 1 बच्चा करे डाक्टरी 
                    (3)
              मोहन-मन 
हूँ भलों के बीच में, मैं एक पागल 
भेडियों में या फँसी, मजबूर छागल 
मूक-सम्मोहित, घुटाले मैं निहारूं 
देश देखूं जा रहा गहरे रसातल
                 (4)
         राजI-सी  सोच ??
पुस्तकों से ज्ञान मिलता है हमेशा 
ज्ञान से पहचान सकते हैं गलत को 
ज्ञान चालाकी बने  पहचान करके
फिर गलत पैसा बनाने में जुटो   
 

No comments:

Post a Comment