Saturday 19 May 2012

अरुण निगम जी साथ हैं, पुत्र भी आया साथ -

दोहे  
अरुण निगम जी साथ हैं, पुत्र भी आया साथ ।
एम् टेक एडमीशन यहाँ, दिखा रहा हूँ पाथ ।

तीन दिनों का है यहाँ, उनका सकल प्रवास ।
इसीलिए ना आ रहा, मित्र तुम्हारे पास ।।

कुंडली 
शुक्रवार की रात में,  आई छुक छुक रेल ।
तीन घंटे थी लेट पर,  कर दी गड़बड़ खेल ।
कर दी गड़बड़ खेल , कवर दो घंटा कर ली ।
पहली यह अनुभूति, रात  आशंका भर दी ।
बीस मिनट में किन्तु,  हुआ सब सही नियंत्रित ।
हों टेशन के पास, बिना टेंशन एकत्रित ।।



7 comments:

  1. क्या बात है!!
    आपकी यह ख़ूबसूरत प्रविष्टि कल दिनांक 21-05-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-886 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

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  2. अरुण निगम जी राम राम, आपको शुभकामनाएं।

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  3. अरुण भईया ल राम राम... लईका ल गाड़ा भर बधई...

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  4. अरे वाह: बहुत सुन्दर प्रस्तुति..अरुण जी...

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