धन्य-धन्य भाग्य तेरे यदुरानी ,तुझको मेरा शत-शत नमन

यदुरानी तू धन्य है, धन्य हुआ गोपाल ।
दही-मथानी से रही, माखन प्रेम निकाल ।
माखन प्रेम निकाल, खाय के गया सकाले ।
ग्वालिन खड़ी निढाल, श्याम माखन जब खाले ।
जकड कृष्ण को लाय, पड़े दो दही मथानी ।
बस नितम्ब सहलाय, हँसे गोपी यदुरानी ।।
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
ReplyDeleteइस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
बहुत खूब
ReplyDeleteयदुरानी तू धन्य है, धन्य हुआ गोपाल ।
ReplyDeleteदही-मथानी से रही, माखन प्रेम निकाल ।
sundar shbd chitr bhaav pravan kartaa sneh sansikt .
sundar shbd chitr sneh sinchit .
ReplyDeleteबहुत सुंदर !
ReplyDeleteबहुत सुंदर,..अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteयह आध्यात्मिक भाव भी अच्छा लगा।
ReplyDeleteसुन्दर अधात्मिक भाव्
ReplyDeleteअद्भुत... जय श्री कृष्ण
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