आँच- 108 - रविकर की रसीली जलेबियाँ - रक्त-कोष की जिम्मेदारी नर-पिशाच के जिम्मे आई
हरीश प्रकाश गुप्त at मनोज - 6 hours ago
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEirT2dpkL-Vaa36bELX9333MgnKJK2jF-VQP4poOIqq_-6MldqYdvVmh7vNm13_jd3UhlDHMpYPqviG_qB7kNbfDn0Fsu4U7cN817lGc3j8792G9x1ukta8iin0-qXRcB0tkV0qSTIIeDI/s320/clip_image002%5B6%5D.jpg)
बहुत बहुत आभार है, रविकर हर्ष अपार ।
करता सादर वन्दना, चिन्हित बिंदु सुधार ।।
करता सादर वन्दना, चिन्हित बिंदु सुधार ।।
सुधार के बाद
तुष्टीकरण पर सुप्रीम कोर्ट की चोट
lokendra singh rajput at अपना पंचू - 4 hours ago
![](http://4.bp.blogspot.com/-QumKg7U4iGs/T6wirs4BH_I/AAAAAAAAAwc/1Frerg6qZpM/s320/Supreme+Court+India.jpg)
काँख रेस में काँखता, सारा हिन्दुस्तान |
सांस फूलती काँख में, पॉलिटिक्स परवान |
सांस फूलती काँख में, पॉलिटिक्स परवान |
पॉलिटिक्स परवान, गलतियां करते जाएँ |
दे दे के अनुदान, काँख में भरते जाएँ |
करे देश का अहित, धूर्तता कांगरेस में |
बहुसंख्यक दुत्कार, लगा सब काँख रेस में ||
मुँह देखे की दोस्ती , अक्सर जाए छूट |
मुँह-फट मुख-शठ की भला, कैसे रहे अटूट |
मुँह-फट मुख-शठ की भला, कैसे रहे अटूट |
कैसे रहे अटूट, द्वेष स्वारथ छल शंका |
डालें झटपट फूट, बजाएं खुद का डंका |
दोस्त नियामत एक, होय ईश्वर की रहमत |
मिले ब्लॉग पर आय, दोस्ती रहे सलामत ||
आज मुझे गाने दो,...
dheerendra at काव्यान्जलि ... - 9 hours ago
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgk6i7WwKM-BRpnLECtbnMhVn5ijDVrjmm26YdE8OcCs3vqk1BQ0aWFT8R4mFdKYm4m680r5AppP19vYhImFrtDzz3JQwdZKLSbKj5rXaVFZeEH3INsWEHBjxHmxXo9bEkuIMeEfu9nSNw/s200/201_bd.jpg)
मस्त कोकिला सी मधुर, बही सरस स्वर-धार |
साधुवाद हे कवि-हृदय, बार-बार आभार |
साधुवाद हे कवि-हृदय, बार-बार आभार |
बार-बार आभार, चाँद धरती पर आया |
टूटे बंधन-रीत, प्यार से धीर मिलाया |
रविकर पढ़कर मस्त, गीत क्या खूब रचाया |
कोटि कोटि परनाम, शारदे माँ की माया |
आज से ब्लॉग जगत के सर्वश्रेष्ठ आशुकवि का खिताब आपका!
ReplyDeleteरविकर की जीवन में, आज का दिन विशेष महत्व का है -
Deleteआज ही माननीय हरीश जी गुप्त ने मेरी कविता को "आंच" में शामिल किया -
और आज पहली मर्तबा आपका यह अलंकरण |
अहोभाग्य -
पहला प्रकाशन
और पहला अलंकरण |
आभारी हूँ ||
सादर ||
रविकर पढ़कर मस्त, गीत क्या खूब रचाया |
ReplyDeleteकोटि कोटि परनाम, शारदे माँ की माया |
ब्लॉग जगत के सर्वश्रेष्ठ आशुकवि खिताब के वाकई आप हकदार है,इसमें कोई शक नही,....
मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार,....रविकर जी,...
पोस्ट मे दम है.
ReplyDeleteआपका स्वागत है.
बहुत कमाल की टिप्पणियाँ. सभी दोहे बेहतरीन...बधाई.
ReplyDeleteसभी दोहे बहुत अच्छे हैं.....बधाई...आभार .रविकर जी,...
ReplyDeleteदिल में मचलते हैं
ReplyDeleteफुदक फुदक कर
निकलते हैं विचार
शब्दों का आकार
करते हैं साकार
इस तरह सरकार।
समीक्षा हमने भी पढ़ी 'आंच
ReplyDelete' पर टिपियाए भी हैं.
सावधान :पूर्व -किशोरावस्था में ही पड़ जाता है पोर्न का चस्का
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
पॉलिटिक्स परवान, गलतियां करते जाएँ |
दे दे के अनुदान, काँख में भरते जाएँ |
करे देश का अहित, धूर्तता कांगरेस में |
बहुसंख्यक दुत्कार, लगा सब काँख रेस में ||
कांख रेस को गुरियाए भी हैं .
बधाई .