"आगे कोई सोपान नहीं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
गुरुवर की होवे कृपा, मिले मार्ग-निर्देश |
शंकर के दर्शन सुलभ, चढ़ने में क्या क्लेश ??
शंकर के दर्शन सुलभ, चढ़ने में क्या क्लेश ??
चढ़ने में क्या क्लेश, सीड़ियाँ चढ़ते जाएँ ।
जय जय जय गुरुदेव, खटाख़ट बढ़ते जाएँ ।
बुद्धू पंगु-गंवार, भक्त भोला भा रविकर ।
सर-सरिता गिरि-खोह, कहाँ बाधा हैं गुरुवर ।।
किन्तु गया अब जाग, करे कर के शुभ दर्शन |
किया धरा को नमन, हुआ तैयार दनादन |
पत्र-निमंत्रण पाय, बांचता मनुवा चंचल |
सदा सदा आभार, सदा सी बढ़िया हलचल ||
त्याग प्रेम बलिदान की, नारी सच प्रतिमूर्ति ।
दफनाती अपने सपन, करती पति की पूर्ति ।
करती पति की पूर्ति, साथ ही पुत्र-पुत्रियाँ ।
आश्रित कुल परिवार, चला परिवार स्त्रियाँ ।
बहुत बड़ा दायित्व, मगर अधिकार घटे हैं ।
छीने जो अधिकार, पुरुष वे बड़े लटे हैं ।।
आशा-तृष्णा मोह मद, तन मन पर अधिकार ।
दीदी कहे विचार के, चरण चमकते चार ।
चरण चमकते चार, चपल चंचल है पहला ।
क्रमश: बाढ़े मोह, दिखाए रूप सुनहला ।
चरण चतुर असहाय, भीगता जीव-बताशा ।
मन दौड़े तन नाय, ख़तम हो जाती आशा ।।
आया ऊंट पहाड़ के, नीचे गया दबाय ।
दुःख के दिनवा गिन रहा, नानक देव सहाय ।
नानक देव सहाय, कृपा हो जाये जम के ।
ऊंट उठा बलबला, घूँट कडुवे हैं गम के ।
खाना पीना छूट, नहीं सप्ताह नहाया ।
सपने देखे रोज, लौट सारा घर आया ।।
खटिया सम्मुख रेस, स्वार्थ मद अहंकार है |
जाय भाड़ में देश, जीभ में बड़ी धार है |
रविकर करिए गर्व, बनो न किन्तु घमण्डी |
तुलोगे कौड़ी मोल, अगर प्रभु मारा डंडी ||
बहुत मुश्किल सा दौर है ये ... !!!
सदा
नयी-पुरानी हलचल
नयी-पुरानी हलचल
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjDX51mj0pIMpDXsjYuixxqm4T3pbOLwUSX5GmKlXGLNK3KwmvYdnz4X7ZRZZqwfSvoQryxQVEoRcqeF0DLXYCblVyzguXnS6yJd_La0R8PnCbABeKV70x_gwLWyuz1ES1vWHjp9d1ZWaE/s320/15-1.6.2012.jpg)
हलचल कोलाहल हुई, होती भागमभाग |
रविकर सोया था पड़ा, किन्तु गया अब जाग |
रविकर सोया था पड़ा, किन्तु गया अब जाग |
किन्तु गया अब जाग, करे कर के शुभ दर्शन |
किया धरा को नमन, हुआ तैयार दनादन |
पत्र-निमंत्रण पाय, बांचता मनुवा चंचल |
सदा सदा आभार, सदा सी बढ़िया हलचल ||
सपनों की बरसी..
ZEALत्याग प्रेम बलिदान की, नारी सच प्रतिमूर्ति ।
दफनाती अपने सपन, करती पति की पूर्ति ।
करती पति की पूर्ति, साथ ही पुत्र-पुत्रियाँ ।
आश्रित कुल परिवार, चला परिवार स्त्रियाँ ।
बहुत बड़ा दायित्व, मगर अधिकार घटे हैं ।
छीने जो अधिकार, पुरुष वे बड़े लटे हैं ।।
जकडा चारों ने ऐसा
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEguCJLZeTiYplBaNwlxWK7S6RUvV958pqO9F-7BcW6t13mebpk0paPFVED1mteBVVztgAOpWJiMKjBGo-VuPYXkbg3nUDvGWCP6W27BI2PaR7AFDWN_zSTaQyFlWwgyLlOTF2rGGgZLCgk/s1600/images.jpg)
आशा-तृष्णा मोह मद, तन मन पर अधिकार ।
दीदी कहे विचार के, चरण चमकते चार ।
चरण चमकते चार, चपल चंचल है पहला ।
क्रमश: बाढ़े मोह, दिखाए रूप सुनहला ।
चरण चतुर असहाय, भीगता जीव-बताशा ।
मन दौड़े तन नाय, ख़तम हो जाती आशा ।।
तुम्हारे जाने के बाद !
संतोष त्रिवेदी
बैसवारी baiswari
बैसवारी baiswari
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjmUVKwJg1jII-_tNlc7GkjntYnp9sSfGLVRSNKzVeSHX7I_dO4kxKalX9neQgTYFHS36Rvx20n_fnrRHVTSIu5ZwqPF5ryjtCgxjwpZ7UaXNbbRQJEAgvH3tIb8SG9N4mjbJ8ymml9omY/s320/shimla.jpg)
दुःख के दिनवा गिन रहा, नानक देव सहाय ।
नानक देव सहाय, कृपा हो जाये जम के ।
ऊंट उठा बलबला, घूँट कडुवे हैं गम के ।
खाना पीना छूट, नहीं सप्ताह नहाया ।
सपने देखे रोज, लौट सारा घर आया ।।
विरह का यह दंश है, रिक्त सब्र के कोष।
तृषा में अनुरक्त हुआ, आज स्वयं संतोष॥
तृषा में अनुरक्त हुआ, आज स्वयं संतोष॥
लिएंडर मोदी !!!
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गत भूपति नीतीश की, मोदी पेस विशेष |
जोड़ीदारों की खड़ी, खटिया सम्मुख रेस |
जोड़ीदारों की खड़ी, खटिया सम्मुख रेस |
खटिया सम्मुख रेस, स्वार्थ मद अहंकार है |
जाय भाड़ में देश, जीभ में बड़ी धार है |
रविकर करिए गर्व, बनो न किन्तु घमण्डी |
तुलोगे कौड़ी मोल, अगर प्रभु मारा डंडी ||
तेरे मेरे बीच की .....
देखें सुन्दर चित्र तो, लगता बड़ा विचित्र ।
ताक रहा अपलक झलक, मनसा किन्तु पवित्र ।
मनसा किन्तु पवित्र, झलकती कैंडिल लाइट ।
किरणें स्वर्ण बिखेर, करे हैं फ्यूचर ब्राइट ।
दूर बसे सौ मील, मीत कर्मों के लेखे ।
ऋतु आये जो शरद, साल हो जाए देखे ।।
मौलाना मुलायम और दिग्गी राजा पाकिस्तान में प्रधानमंत्री पद के मजबूत उम्मीदवार
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg1mbS_uNCPhyphenhyphen8QW_f_8vjAl0qPhSHndvAaLy2n5dtNFlvP5v8ii7mFW1G1T8AYPamxAJESj1mejKWTjQpkp0oEcQB1wHUtkbTPSZhDeu9AG7CG-D-mWyLlWZrZPCITJRHlSfOmJ14sx24/s320/Haresh+new+Pic..jpg)
अच्छा भला विचार है, प्यारे मित्र हरेश ।
ममता इस प्रस्ताव को, करवाएगी पेश ।
करवाएगी पेश, देश फिर बने अखंडित ।
मिटिहै झंझट क्लेश, आप भी महिमा मंडित ।
सारा जागे देश, सुबह फिर इक अजान पर ।
पांचो समय नमाज, ईद में खाओं छककर ।।
आभार आपका ... प्रोत्साहन हेतू ।
ReplyDeleteसादर
जय हो...!
ReplyDeleteवाह बहुत खूब!
ReplyDeleteइसको साझा करने के लिए आभार!