जीने-मरने में क्या पड़ा है, पर कहने-सुनने...
यादें....ashok saluja .
यादें...
यादें...
मौत-जिंदगी हास्य-व्यंग, क्रमश: साँझ-विकाल ।
क्रमश: साँझ-विकाल, मस्त होकर के झूमें।
देते व्यथा निकाल, चक्र-चौरासी घूमें ।
पर्दा गिरता अंत, बिछ्ड़ते पात्र-पात्रा ।
किन्तु चले निर्बाध, कहीं ना रुके यात्रा ।।
पंज -प्यारो के चित्र पर, करते हो खिलवाड़ |
मैया हो जाये खपा, बहुत पड़ेगी झाड़ |
बहुत पड़ेगी झाड़, देखिये पहला लालू |
ममता को भटकाय, मुलायम दूजा चालू |
तीजा वोही बंग , दाहिने लुंगी वाला |
पी एम् पीछे हाथ, छुपाता मन का काला ||
ज्यादा देर आन लाइन रहना बोले तो टेक्नो ब्रेन बर्न आउट
कितनो समझाओ यहाँ, अनुभव लेख उड़ेल ।
मल्टी-टास्किंग का सदा , किया करेंगे खेल ।
मल्टी-टास्किंग का सदा , किया करेंगे खेल ।
किया करेंगे खेल , रेल का डिब्बा जनरल ।
सौ ठो देंगे पेल, झेल जायेगी अक्कल ।
जल ही जाय दिमाग, आउट हो जाए टेक्नो ।
अपनी ढपली राग, यहाँ समझाओ कितनो ।।
पक्षी दाना चुग रहे, मुर्गा है तैयार ।
बारी गंगा-लाभ की, जाना सागर पार ।
जाना सागर पार, बनारस घूम सकारे ।
हो जाए उद्धार, मनौती गंग किनारे ।
मानव देश-विदेश, आय के महिमा जाना ।
रोगी की सम्पूर्ण चिकित्सा, रक्षित होय निरोगी ।
आयुर्वेद पूर्ण सक्षम है, निन्दा करते ढोंगी ।
सुश्रुत शल्य-क्रिया धन्वंतरि, औषधि के विज्ञाता
वैदिक ज्ञान प्रतिष्ठित होगा, फिर से जय जय होगी ।।
गजब की टिप्पणियां ! चार चाँद लगा दिला पोस्टों पर।
ReplyDeleteआपका पोस्ट पर कुंडली कमेंट करने का अभ्यास चमत्कृत करता है। इस पुन्य का लाभ एक दिन आपको अवश्य मिलेगा।
ReplyDeleteये कैसे पता चल पायेगा
ReplyDeleteरविकर किस पोस्ट पर
कौन सी कुण्डली चिपकायेगा?
इतना राशन ये पता तो
चलाईये कि कहाँ से उठायेगा?
अद्भुत और त्वरित है कुंडलियों के माध्यम से टिप्पणियाँ .. बहुत खूब
ReplyDeleteआभार आपका ||
ReplyDeleteबढ़िया प्रस्तुति |
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