Tuesday 26 June 2012

कुंडली में 1000 वीं टिप्पणी -

कभी आप ने देखी क्या?? आज देख लो --

कौन देगा प्यार ....

  Sharad Singh  
 
आधी आबादी यहाँ, रविकर जैसे लोग ।
कुरूपता का दंश यूँ, नियमित लेते भोग ।
नियमित लेते भोग, मगर भरपाई करते ।
मानवता के लिए, जीये फिर झटपट मरते ।
सुन्दर चेहरेदार, मगर सामाजिक व्याधी ।
खुद तो करते मौज, तड़पती दुनिया आधी ।

अग्निबाज क्लासेस

  (सतीश पंचम)
सफ़ेद घर
 

शेयर करते आइडिया, जल पाता ना ताज |
मंत्रालय मुंबई का, और न जलती लाज |
और न जलती लाज, बाज आ जाता पाकी |
आतंकी आवाज, आज ना रहती बाकी |
पंचम सुर में गाय, आज सर आँखों धरते |
मरते ना मासूम, अगर हम शेयर करते ||

एक लाख ब्‍लाग पेज हिट्स का आज आनंद उत्‍सव मनाया जाये । ये ब्‍लाग एक साझा मंच है इसलिये ये उत्‍सव सभी का है । तो आइये आज केवल उत्‍सव का आनंद लिया जाये ।

पंकज सुबीर
सुबीर संवाद सेवा  
लाख लाख शुभकामना, हिट होते हिट लाख |
भभ्भड़ कवि भौंचक खड़े, निश्चय बाढ़े साख |
 निश्चय बाढ़े साख, गुरु का वंदन करता |
शिरोधार्य आदेश, ब्लॉग पर रहा विचरता |
मस्त सुबीर संबाद, होय सब मंगल मंगल |
प्रस्तुति पर है दाद, बढे शब्दों का दंगल || 

गुलदस्ते में राष्ट्रपति..

ZEAL at ZEAL
 खरी खरी कहती रहे, खर खर यह खुर्रैट ।
दुष्ट-भेड़ियों से गले, मिलते चौबिस  रैट ।
मिलते चौबिस  रैट, यही दोषी है सच्चे ।
हो सामूहिक कत्ल, मरे जो बच्ची-बच्चे । 
ईश्वर करना माफ़, इन्हें यह नहीं पता है ।
 बुद्धी से कंगाल, हमारी बड़ी खता है ।। 

13 comments:

  1. यही रही रफ़्तार,
    तो आंकड़ा होगा दस के पार,
    दस हज़ार !

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  2. जय हो , आपके इस अंदाज़ के क्या कहने जनाब हैं ,
    सब एक से बढकर एक ,और लाजवाह हैं ..

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  3. बेहद ख़ास होती हैं..आपकी कुण्डलियाँ..

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  4. बेहद ख़ूबसूरत

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  5. कुण्डलियों में टिप्पणियाँ कर दी एक हजार,
    इसी अदा पर मिल रहा ब्लॉगरों से प्यार.
    ब्लॉगरों से प्यार,रविकर जी लिखते रहना
    मिले हमेशा दुलार,मानो तुम मेरा कहना
    छोटे हो या बड़े,सभी के पोस्टों पर जाओ
    तभी बनोगे बड़े,महान टिप्पणीकार कहाओ,
    ..

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  6. जय हो...ग्रिनिच बुक ऑफ रिकार्डस् में इसे शामिल किया जाना चाहिए।:)

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  7. स्पीड बढ़ रही है । बधाई !!

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  8. एक से बढकर एक - बधाई !!

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  9. आप की कुंडलियाँ एक से एक बढ़ कर होती हैं .

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  10. आधी आबादी यहाँ, रविकर जैसे लोग ।
    कुरूपता का दंश यूँ, नियमित लेते भोग ।
    नियमित लेते भोग, मगर भरपाई करते ।
    मानवता के लिए, जीये फिर झटपट मरते ।
    सुन्दर चेहरेदार, मगर सामाजिक व्याधी ।
    खुद तो करते मौज, तड़पती दुनिया आधी ।
    बहुत बढ़िया प्रस्तुति है भाई साहब .वीरुभाई परदेसिया .

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  11. बहुत अच्छी प्रस्तुति!
    इस प्रविष्टी की चर्चा आज बुधवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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  12. Awesome...Awesome...Awesome.....Congratulations for completing 100 wonderful comments.

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