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प्राइवेट लिमिटेड पूरती, सरिस कंपनी और । 
सन सैंतीस से चल रहा, नाना जी का दौर । 
 नाना जी का दौर, आज भी प्राइवेट है । 
प्रोपेराइटर वही, बड़ा ही खुररैट है । 
नब्बे दिया करोड़, निगाहें बहुत घूरती । 
सिमिलर टू गडकरी, प्राइवेट लिमिट पूरती ।।  | 
| गजल कहने की कोशिश जारी है-
मोटी-चमड़ी पतला-खून । 
नंगा भी, पहने पतलून  । 
भेंटे नब्बे खोखे नोट - 
भांजे दर्शन, अफलातून । 
भुना शहीदी, दादी-डैड 
*शीर्ष-घुटाले, लगता चून । 
 *सिर मुड़ाना  / चोटी के घुटाले  
 पंजा बना शिकंजा खूब- 
मातु-कलेजी, खाए भून । 
मिली-भगत सत्ता-पुत्रों से  
लूटा तेली, लकड़ी-नून ।  
दस हजार की रविकर थाल 
उत फांके हों, दोनों जून ।। | 
| “सबसे अच्छी मेरी माता” (अरुणदेव यादव)
माता के चरणों तले, स्वर्ग-लोक का सार । 
 मनोयोग से पूँजिये,  बार बार आभार । 
बार बार आभार, बचुवा बड़ा लकी है । 
जरा दबा दे पैर, मैया, लगे थकी है ।  
रविकर का आशीष, ब्लॉग जो भला बनाता ।रहे सदा तू बीस, कृपा कर भारत माता ।। | 
| समय की पुकार है 
कारे कृपण करेज कुछ, काटे सदा बवाल । 
इसीलिए तो बुरे हैं, भारत माँ के हाल । 
भारत माँ के हाल, हाल में घटना देखा । 
चोरों की घट-चाल, रेवड़ी बटना देखा । 
जाओ तनिक सुधर, समय नित यही पुकारे । 
चिंदी चिंदी होय, धरा दुष्टों धिक्कारे ।।  | 
| घर कहीं गुम हो गयाप्यारे प्यारे पूत पे, पिता छिड़कता जान । 
अपने ख़्वाबों को करे, उसपर कुल कुर्बान । 
उसपर कुल कुर्बान, मनाये देव - देवियाँ । 
करे सकल उत्थान, फूलता देख खूबियाँ । 
पुत्र बसा परदेश, वहीँ से शान बघारे ।पिता हुवे बीमार, और भगवन को प्यारे ।। | 
| "समझ"मरुत मरू देता बना, जल अमरू कर देत । मरुद्रुम कांटे त्याग दे, हो अमरूदी खेत । हो अमरूदी खेत, देश भी बना बनाना । बैठे बन्दर खाँय, वहां लेकिन मत जाना । डालेंगे वे नोच, सभी की मिली भगत है । रावण से था युद्ध, सफल वो आज जुगत है ।। | 
 


 
बढिया लिंक्स
ReplyDeleteवाह..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया।
नये ब्लॉगरों को प्रोत्साहन मिलना ही चाहिए!
बहुत सुन्दर..बढिया लिंक्स
ReplyDeleteबढिया लिंक पोस्टमार्टम के साथ (दिल्लगी में कह रहा हूं )
ReplyDeleteएक और लाजवाब प्रस्तुति!
ReplyDeleteउत्तम लिंकों पर अति उत्तम टिप्पणियां ..
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