Sunday 4 November 2012

जुड़वाँ बच्चे एक से, शिक्षा दीक्षा काज-




उसकी दूरी का ये अहसास खलता बहुत है

Reena Maurya 

 सहमा सहमा दिल रहे,  मचले मन बइमान ।
दुसह परिस्थिति में फंसा, यह अदना इंसान ।
यह अदना इंसान, नहीं हिम्मत कर पाता ।
गर उद्यम कर जाय, तोड़ कर तारे लाता ।
बहना करो उपाय, नहीं अपना मन भरमा ।
कर ले तू सद्कर्म, रहे नहिं दिल यह सहमा ।।

आवागमन इनका

Asha Saxena 
 Akanksha  

आहें पड़ी बाजार में, तरह तरह की श्वाँस ।
अक्सर यह सामान्य हैं, कभी कभी अति ख़ास ।
कभी कभी अति ख़ास, भरें उच्छवासें आशिक ।
होती अति गतिमान, अगर दौरा आपातिक ।
वेग पलायन पाय, पकड़ नहिं पाए बाहें ।
श्वाँस उखड ही जाय, कराहें बचती आहें ।।

Pallavi saxena 
 निर्भर है सब सोच पर, पढ़ी कथा इक आज ।
जुड़वाँ बच्चे एक से, शिक्षा दीक्षा काज ।
शिक्षा दीक्षा काज, एक है किन्तु पियक्कड़ ।
दूजा सात्विक सोच, नहीं बन पाता फक्कड़ ।
  कारण लेता पूछ, बता देते यूँ रविकर ।
फादर दारुबाज, हमेशा पीते भर भर ।।

थोड़ी बात करें ज़िन्दगी की!

मनोज कुमार  
स्वर्ण अशरफ़ी सा रखो, रिश्ते हृदय संजोय । 
 हृदय-तंतु संवेदना, कहीं जाय ना खोय ।
कहीं जाय ना खोय, गगन में पंख पसारो ।
उड़ उड़ ऊपर जाय, धरा को किन्तु निहारो ।
 रिश्ते सभी निभाय, रहें नहिं केवल हरफ़ी 
 कहीं जाय ना खोय, हमारी स्वर्ण अशरफ़ी ।।

शब्द रे शब्द, तेरा अर्थ कैसा

mahendra verma 
शब्द अलग से दीखते, रहते अगर स्वतंत्र ।
यही होंय लयबद्ध जब, बन जाते हैं मन्त्र ।
 बन जाते हैं मन्त्र , काल सन्दर्भ मनस्थिति ।
विश्लेषक की बुद्धि, अगर विपरीत परिस्थिति ।
होवे अर्थ अनर्थ, शान्ति मिट जाए जग से ।
कोलाहल ही होय, सुने नहिं शब्द अलग से ।।

5 comments:




  1. उसकी दूरी का ये अहसास खलता बहुत है
    Reena Maurya
    मेरा मन पंछी सा


    सहमा सहमा दिल रहे, मचले मन बइमान ।
    दुसह परिस्थिति में फंसा, यह अदना इंसान ।
    यह अदना इंसान, नहीं हिम्मत कर पाता ।
    गर उद्यम कर जाय, तोड़ कर तारे लाता ।
    बहना करो उपाय, नहीं अपना मन भरमा ।
    कर ले तू सद्कर्म, रहे नहिं दिल यह सहमा ।।

    भावनाओं का उच्छ्वास उड़ेल दिया है रचना टिपण्णी में आपने .बधाई .

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  2. रोज़ करके जातें हैं यहाँ टिप्पणियाँ ,

    मेट जातीं हैं हवाएं .

    बचके रहना खापियों की नजर से ,

    इसकी उसकी गुफ़्त -गु से .


    उसकी दूरी का ये अहसास खलता बहुत है
    Reena Maurya
    मेरा मन पंछी सा

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  3. बढिया लिंक्स
    बहुत सुंदर

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  4. वाह...!
    एक पंथ दो काज!
    टिप्पणी की टिप्पणी और साहित्य का साहित्य!

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  5. अच्छी लिंक्स प्रतिउत्तर के साथ बधाई |
    मेरी लिंक शामिल करने के लिए आभार |
    आशा

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