वो होती क्या.....
रश्मि   
  
शक्ति बड़ी है सोच में, गर्म गर्म एहसास | 
बर्फ पिघलनी चाहिए, किन्तु करे नहिं नाश | किन्तु करे नहिं नाश, कहीं कुछ छोटे इग्लू | बर्फ देख मासूम, सोचती रह रह पिघलूं | पर इग्लू को देख, सोच में आज पड़ी है | मिला अभी सन्देश, नारि में शक्ति बड़ी है ||  | 
 
सत्ता के व्यक्तव्य , सख्त हर दिन आते हैं
 हाय हाय रे मीडिया,  देश-देश का भक्त । 
टी आर पी की दौड़ सह, विज्ञापन आसक्त ।  
 विज्ञापन आसक्त, आज तक पूजा बेदी । 
बलि बेदी पर शीश, मस्त है घर का भेदी । 
लगा दिया आरोप, विपक्षी भड़काते हैं । 
सत्ता के व्यक्तव्य , सख्त देखो आते हैं ।।  | 
 
गर चर्चा का दौर, रखो विज्ञापन बाहर -
विज्ञापन मछली बड़ी, आँख देखता पार्थ । 
आँख देखता पार्थ, अर्थ में दीवाना है । 
रहे बेंचता दर्द, मर्ज से अनजाना है । 
 सकारात्मक त्याज्य, लगे खुब जोर मिर्चियाँ ।। 
 | 
 
भारतीय सेना के वीर जवानों को नमन !!
पूरण खंडेलवाल   
  
पुख्ता पावन वृत्तियाँ, न्यौछावर सर्वस्व | 
कीर्ति पताका फहरती, धावति रविकर अश्व | 
धावति रविकर अश्व , मेध चाहे हो जाए | 
मम माता तव शान, चढ़ाएंगे सिर-मुक्ता |एक नहीं सैकड़ों, बार धड़ शीश कटाए | लेना आप पिरोय, गिनतियाँ रखना पुख्ता ||  | 
 
नौनिहालों में दमे के खतरे के वजन को बढ़ाता है कबाड़िया भोजन
अमां दमा एक्जिमा क्या, लेते कहाँ भकोस | | 
 
जामा मस्जिद का 'मातोश्री' !Saleem akhter Siddiqui
हक बात  
सिद्दीकी साहब लिखें, एक राज पर राज | गड़बड़झाला देख के, उठा रहे आवाज | उठा रहे आवाज, बना कानून खिलौना | मिटा रहे बचपना, नियम हो जाता बौना | मातो श्री की ठाठ, यहाँ भी जय जिद्दी की | अपना अपना राज, बड़ा मसला सिद्दीकी ||  | 
 


Nice post
ReplyDeleteबहु बढ़िया..
ReplyDeleteव्यापारी है मीडिया, सदा देखता स्वार्थ ।
ReplyDeleteविज्ञापन मछली बड़ी, आँख देखता पार्थ ।
बहुत उत्तम !
बेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteसादर
बहुत सुंदर उम्दा प्रस्तुति,,,
ReplyDeleteनिराला अंदाज ... छंदों में बात ... चर्चा लाजवाब ...
ReplyDeleteबढ़िया तंज सामयिक काव्य टिप्पणियाँ लिंक लिख्खाड़ पर .
ReplyDeleteहुज़ूर स्पेम से टिप्पणियाँ निकालो .
ReplyDeleteअरे वाह...रूप-अरूप भी शामिल है। बहुत बढ़िया व निराला अंदाज है आपका..
ReplyDeleteनारी को अपनी ताकत को पहचानना होगा!
ReplyDeleteसार्थक और सटीक टिप्पणियाँ!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!