Sunday 13 January 2013

बरबस बस के हादसे, बनते प्राइम न्यूज-


 

  जली दिमागी बत्तियां, किन्तु हुईं कुछ फ्यूज ।
बरबस बस के हादसे, बनते प्राइम न्यूज ।
बनते प्राइम न्यूज, व्यूज एक्सपर्ट आ रहे ।
शब्द यूज कन्फ्यूज, गालियाँ साथ खा रहे ।
सड़ी-गली दे सीख, मिटाते मुंह की खुजली ।
स्वयंसिद्ध *सक सृज्य , गिरे उनपर बन बिजली ।।
 *शक्ति
जस्टिस वर्मा को मिले, भाँति-भाँति के मेल । 
रेपिस्टों की सजा पर, दी दादी भी ठेल ।  

दी दादी भी ठेल, कत्तई मत अजमाना ।
 सही सजा है किन्तु, जमाना मारे ताना ।


जो भी औरत मर्द, रेप सम करे अधर्मा ।  
 चेंज करा के सेक्स, सजा दो जस्टिस वर्मा ।।


पेशी ओ-वेशी भड़क, बोले न्यायाधीश -

पेशी ओ-वेशी भड़क, बोले न्यायाधीश ।
बके गालियाँ राम को, लेकिन देख खबीस ।

लेकिन देख खबीस, *राम दो दो हैं आये ।
दे दलील वे किन्तु, जमानत हम ठुकराए ।

नियमबद्ध अन्यथा, एक क्षण भी है वेशी ।
करदूं काम-तमाम,  आखिरी होती पेशी ।।

* दोनों वकीलों के नाम में राम


दर्द और बाज़ार !

संतोष त्रिवेदी 
जारज-जार बजार सह, सहवासी बेजार |
दर्द दूसरे के उदर, तड़पे खुद बेकार |
तड़पे खुद बेकार, लगा के भद्र मुखौटा |
मक्खन लिया निकाल, दूध पी गया बिलौटा |
वालमार्ट व्यवसाय, हुआ सम्पूरण कारज |
जारकर्म संपन्न, तड़पती दर दर जारज ||


मानवाधिकारियों का दोहरा चरित्र

Saleem akhter Siddiqui 

 

नक्सल मारे जान से, फाड़ फ़ोर्स का पेट।
करवाता बम प्लांट फिर, डाक्टर सिले समेट ।
डाक्टर सिले समेट, कहाँ मानव-अधिकारी ।
हिमायती हैं कहाँ, कहाँ करते मक्कारी ।
चुप क्यूँ हो पापियों, कहाँ चरती है अक्कल ?
शत्रु देश नापाक, कहाँ का है तू नक्सल ??



शब्द यूज कन्फ्यूज, गालियाँ साथ खा रहे -

  जली दिमागी बत्तियां, किन्तु हुईं कुछ फ्यूज ।
बरबस बस के हादसे, बनते प्राइम न्यूज ।

बनते प्राइम न्यूज, व्यूज एक्सपर्ट आ रहे ।
शब्द यूज कन्फ्यूज, गालियाँ साथ खा रहे ।

सड़ी-गली दे सीख, मिटाते मुंह की खुजली ।
स्वयंसिद्ध *सक सृज्य , गिरे उनपर बन बिजली ।।
 *शक्ति

4 comments:

  1. लिंक और लिक्खाड़ - दोनों मनभावन!

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  2. बहुत सुन्दर और सार्थक ....लोहड़ी और मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनायें!

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  3. मकर संक्रान्ति के अवसर पर
    उत्तरायणी की बहुत-बहुत बधाई!
    नये हैडर की भी बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
    अच्छा लग रहा है!

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