नारी तन-मन गोद, गोद में जिनके खेले -
 शादी कच्ची उम्र में, लाद रहे ड्रेस कोड । 
नए नए प्रतिबंध नित, नारी तन-मन गोद । 
नारी तन-मन गोद, गोद में जिनके खेले । 
कब्र रहे वे खोद, खड़े कर रहे झमेले । 
 सृष्टि खड़ी भयभीत, मजे लेते प्रतिवादी । 
जहाँ तहाँ ले घेर, बनाते जबरन शादी ।।  
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इक नारी को घेर लें, दानव दुष्ट विचार । 
 शक्ति पुरुष की जो बढ़ी, अंड-बंड व्यवहार । 
अंड-बंड व्यवहार, करें संकल्प नारियां । 
होय पुरुष का जन्म, हाथ पर चला आरियाँ । 
काट रखे इक हाथ, बने नहिं अत्याचारी । 
कर पाए ना घात,  पड़े भारी इक नारी ।।  
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Kulwant Happy  
  
ओ वेशी मत बकबका, सह ले सह अस्तित्व । 
जीवन की कर बात रे, क्यूँकर घेरे मृत्यु । 
क्यूँकर घेरे मृत्यु , बात कर सौ करोड़ की । 
 लानत सौ सौ बार, बंद कर बन्दर घुड़की । 
कन्वर्टेड इंसान, पूर्वज तेरे देशी । 
कर डी एन ए मैच, बकबका मत ओ वेशी ।।  
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सुशील  
उल्लूक टाईम्स 
सुबह सुबह उल्लुओं की, बिलकुल नई जमात | 
खबरें रंग जमात हैं, चाय सहित खा जात | चाय सहित खा जात, पक्ष केवल आता है | बैठा सुस्त विपक्ष, कटघरे में जाता है | कर सियार सा शोर, बड़ी ऊंची आवाजे | होवे चाहे चोर, उसी का डंका बाजे ||  | 
 
देवेन्द्र पाण्डेयबेचैन आत्मा गिरहकटों का काम है, पूरा धक्का मार | ध्यान बटा कि सटा दें , इक ब्लेड की धार | इक ब्लेड की धार, मरो ससुरों दंगों में | माल कर गए पार, हुई गिनती नंगों में | झूठ-मूठ के खेल, जान-जोखिम का शिरकत | देंगें बम्बू ठेल, आँख बायीं है फरकत ||  | 
 
ये है भगवा हिंदु आतंकवाद
की प्रतिक्रिया  
पर  
हजम हकीकत क्यों करें, धरें गिरेबाँ झाँक | 
कार-बार नफरत सतत, हरदम हिन्दु हलाक | हरदम हिन्दु हलाक, हजम हमले हठ-धर्मी | मंदिर मठ विस्फोट, दिखाए फिर भी नरमी । खौला ठंडा खून, तिलांजलि अपनी देता | 
कई बार कानून, हाथ में भी ले लेता || 
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रविकर सर प्रणाम बहुत ही उम्दा रचनायें हैं वर्तमान परिस्थितियों का सार्थक वर्णन बधाई स्वीकारें.
ReplyDeleteओवैसी के बयान पर हमारी प्रतिक्रिया
ReplyDeleteऐसा लगता है कि नेताओं में कम्पटीशन चल रहा है कि कौन कितना ज़हर उगले और कौन कितनी आग लगाए ?
पब्लिक जाने अनजाने उनकी आग को और ज़्यादा फैलाती है या उसके खि़लाफ़ दूसरों को भड़काती है। ऐसा ही ये नेता चाहते हैं।
आपस की मुहब्बत को बढ़ाकर इनकी चाल को नाकाम बनाया जा सकता है।
प्रभावशाली !!
ReplyDeleteशुभकामना !!
आर्यावर्त शुभकामना !!
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ReplyDeleteकन्वर्टेड इंसान, पूर्वज तेरे देशी ।
कर डी एन ए मैच, बकबका मत ओ वेशी ।।
ये मंद मती क्या कर रहा है निर्भय के बलिया जाने का हौसला नहीं हुआ इस नेहरुवीयन चूहे का .
बहुत बेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteउम्दा रचनायें....
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