संगीता स्वरुप ( गीत )
सौ जी.बी. मेमोरियाँ, दस न होंय इरेज |
रोम-रैम में बाँट दे, कुछ ही कोरे पेज |
कुछ ही कोरे पेज, दाग कुछ अच्छे दीदी |
रखिये इन्हें सहेज, बढे इनसे उम्मीदी |
रविकर का यह ख्याल, किया जीवन में जैसा |
रखे साल दर साल, सही मेमोरी वैसा |
बरसे धन-दौलत सकल, बचे नहीं घर ठौर |
नींद रूठ जाए विकल, हजम नहीं दो कौर |
हजम नहीं दो कौर, गौर करवाते भैया |
बड़े रोग का दौर, काम का नहीं रुपैया |
करिए नित व्यायाम, गर्म पानी से न्याहो |
मिले पूर्ण विश्राम, राधा-कृष्ण सराहो |।
यहीं मिले हैं चाचा ताऊ, दीदी बुआ बेटियां गुरुवर ।
भाई बेटा मित्र भतीजा, व्यवसायी गुरुभाई टीचर ।।
एडवोकेट मीडिया पर्सन, नौकर मालिक बैंकिंग अफसर ।
पब्लीशर एजेंट सिनेमा, तरह तरह के कई करेक्टर ।।
हास्य
मिला शेर को सवा शेर फिर, एक बहेलिया कई कबूतर ।
बड़े बाप हैं यहाँ कई तो, मिला नहीं पर सच्चा पुत्तर ।।
आज अमरीका भर में नेशनल
veerubhai
एकाधिक से यौनकर्म, ड्रग करते इंजेक्ट ।
बाई-सेक्सुयल मैन गे, करिए इन्हें सेलेक्ट ।
करिए इन्हें सेलेक्ट, जांच करवाओ इनकी ।
केस यही परफेक्ट, जान जोखिम में जिनकी ।
एच. आई. वी. प्लस, जागरूक बनो नागरिक ।
वफादार हो मित्र , नहीं संगी एकाधिक ।
सदा
रूप निखारे वित्त-पति, रुपिया हो कमजोर ।
नोट धरे चेहरे हरे, करें चोर न शोर ।
करें चोर न शोर, रखे डालर में सारे ।
हम गंवार पशु ढोर, लगाएं बेशक नारे ।
है डालर मजबूत, इलेक्शन राष्ट्र-पती का ।
इन्तजार कर मीत, अभी तो परम-गती का ।
dheerendra
स्वागत करता मित्रवर, शुभकामना प्रसाद |
काव्यांजलि पर धीर को, देता रविकर दाद |
देता रविकर दाद, मुबारक हों फालोवर |
मिले सफलता स्वाद, सदा ही बम-बम हरिहर |
रचनाएँ उत्कृष्ट, बढ़ें नित नव अभ्यागत |
बढ़ते जाएँ पृष्ट, मित्रवर स्वागत स्वागत ||
हुवे कबूतर क्रूर सब, करें साथ मतदान ।
जब्त जमानत हो रही, बहेलिया हैरान ।
कौवों ने रंगवा लिया, सब सफ़ेद सा पेंट ।
असमंजस में कोयली, गाड़ी खुद का टेंट ।
जबरदस्त यह शायरी, तेज धार सरकार ।
सावधान रहिये जरा, करवाएगी मार ।
दिलबाग विर्क
सुन्दर चर्चा साजते, लगते रोचक लिंक |
हरियाली बरसात की, नीले पीले पिंक ||
दो साथी को नमन कर, दो मिनटों का मौन |
चौंतिस साथी जम गए, मिला रेलवे भौन |
मिला रेलवे भौन, मटन सांभर आर्केस्ट्रा |
धरना भी हो गया, पार्टी होती एक्स्ट्रा |
बीता लंबा काल, बहुत कुछ खोया पाया |
चलती रोटी दाल, एक परिवार बनाया ||
अरुन शर्मा
दास्ताँने - दिल (ये दुनिया है दिलवालों की )
आसानी से कह रहे, अरुण तरुण एहसास ।
ब्लॉग-जगत का कर रहा, चर्चा-मंच विकास ।
चर्चा-मंच विकास , आस है भारी इससे ।
छपते गीत सुलेख, विवेचन गजलें किस्से ।
बहुत बहुत आभार, प्यार से इसे नवाजा ।
कमी दिखे तत्काल, ध्यान शर्तिया दिला जा ।।
अरुन शर्मा
दास्ताँने - दिल (ये दुनिया है दिलवालों की )
खेले नेता गाँव में, धूप छाँव का खेल |
बैजू कद्दू भेजता, तेली पेट्रोल तेल |
बैंगन लुढ़क गया ||
परती की धरती पड़ी, अपना नाम चढ़ाय |
बेचे कोटेदार को, लाखों टका कमाय |
बैजू भड़क गया ||
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यह मानव फितरत सखे, समय सहे आघात |
समय सहे आघात, कलेजा मुंह को आता |
जैसी करनी राय-बरेली वही दिखाता |
दीजे ताहि भुलाय, जीत का स्वाद चाखिये |
कपिल पिलाया पानि, आज बस याद राखिये ||