Saturday 30 June 2012

मौसी प्रभु के धाम, सत्य का करूँ सामना-

अलविदा पिंकी मौसी ...

शिवम् मिश्रा
बुरा भला  
 
 माँ-सी माँ सी थपकियाँ, मिली झिडकियां प्यार ।
गोदी में लेकर चलीं, बहुत बहुत आभार ।

बहुत बहुत आभार, खफा क्यूँ हुई आज माँ ।
प्यार भरी तकरार, गिरा के गई गाज माँ ।

श्रद्धा-सुमन चढ़ाय, शांत की करूँ कामना ।
मौसी प्रभु के धाम, सत्य का करूँ सामना ।।

पहिये

देवेन्द्र पाण्डेय
बेचैन आत्मा

वैचारिक पहिये चले, सधा-संतुलित वेग |
प्रगट करें पहिये सही, ऊँह उनमद उद्वेग |

ऊँह उनमद उद्वेग, वेग बढ़ता ही जाए |
समय फिसलता तेज, मनुज भागे भरमाये |
 
बिन पहियों के सफ़र, करे कंधे  पर 
लंबा | 
 रहे न चक्कर शेष , कृपा कर देना अम्बा ||

"सरकारी राय"

Sushil 
"उल्लूक टाईम्स "

ईश्वर चन्द भू माफिया, उटपटांग कर काम ।
उलटा-पुल्टा कर दिया, भोगो सब अंजाम ।

 भोगो सब अंजाम, जिला अधिकारी आला ।
भली करेंगे राम, दे रहा जिला निकाला ।

बिना कराये जांच, यही निष्कर्ष निकाले ।
छोड़ जाँय  घर बार, लगाना क्यूँकर ताले ।।

9 comments:

  1. बहुत प्यारी...भावभीनी रचना.
    श्रद्धासुमन

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  2. बहुत सुन्दर ...

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  3. श्रद्धा-सुमन चढ़ाय, शांत की करूँ कामना ।
    मौसी प्रभु के धाम, सत्य का करूँ सामना ।।

    बहुत बढ़िया रविकर जी उर्फ़ ब्लोगिया बीरबल (फिर अकबर किसी बनाए भाई ?)ब्लोगिया चक्र धर .

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  4. बहुत सुंदर।
    काठी. खंभा और कंधा का प्रयोग करते अंतिम पंकित में तो और मजा आता।

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    1. बिन पहियों के सफ़र, करे कंधे पर लंबा |
      रहे न चक्कर शेष , कृपा कर देना अम्बा ||

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  5. पाण्डेय जी ये वैसे ही बहुत मजे में आ गये है आजकल ज्यादा मजे कहोगे तो सब उलट पुलट कर देंगे । देख नहीं रहे हैं तीरंदाज जैसे तेवर इनके । वाह !

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    1. ठीक कह रहे हैं सुशील जी। तेवर तो तीखे हैं, उलट-पुलट कर ही दिये।:) घंटों का काम मिनटों में करते हैं।

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  6. मौसी जी को श्रद्धांजलि

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  7. बहुत बढ़िया रविकर जी ....

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