अनुशंसा-तारीफ़, तनिक करना भी जानो-
विद्वानों की टोलियाँ, *बतर बोलियाँ बोल ।
करें कलेजा तर-बतर, पोल-पट्टियाँ खोल ।
पोल-पट्टियाँ खोल, झोल इसमें है लेकिन ।
नौसिखुवे हों गोल, हुवे हैं जिनको दो दिन ।
अनुशंसा-तारीफ़, तनिक करना भी जानो ।
अनजाने तकलीफ, नहीं दो हे!  विद्वानों ।।
*बुरी 
 
  
 
  
बाशिंदे अतिशय सरल, धरम-करम से काम  ।
सरल हृदय अपना बना,  देखे उनमें राम ।
 देखे उनमें राम, नम्रता नहीं दीनता ।
दीन धर्म ईमान, किसी का नहीं छीनता ।
पाले हिन्दुस्थान,  युगों से जीव-परिंदे ।
है सभ्यता महान, बोल अब तो-बा-शिंदे ।।
 
  
 तो-बा-शिंदे बोल तू , तालिबान अफगान ।
काबुल में विस्फोट कर, डाला फिर व्यवधान ।
डाला फिर व्यवधान, यही क्या यहाँ हो रहा ?
होता भी है अगर, वजीरी व्यर्थ ढो  रहा ।
फूट व्यर्थ बक्कार, इन्हें चुनवा दे जिन्दे । 
होवे खुश अफगान, पाक के तो बाशिंदे ।। 
 
  
कर भला हो भला | 
 
G.N.SHAW  
  
 हटकु उठाया हाट से, नहीं चुकाया दाम |
 
हटकु उठाया हाट से, नहीं चुकाया दाम |
मच्छ-घातिनी में फँसा, बुरा एक अंजाम |
बुरा एक अंजाम, पकी स्वादिष्ट मछलियाँ |
मछली कांटा कंठ, करे व्याकुल घर गलियाँ |
मछुवारा अनजान, मदद कुछ कर ना पाया 
रोया बहुत दबंग, हटकु यमराज उठाया ||
 
 
  
 हिमगिरि के ननिहाल में (उत्तरार्ध). 
  प्रतिभा सक्सेना 
 लालित्यम् 
गुप्त कहीं गोदावरी, कहें गौतमी-गंग |
पञ्च नदी संगम विचित्र, ब्रह्मारण्या-अंग |
ब्रह्मारण्या-अंग, यही तो जीवन रेखा |
पूरा दक्षिण क्षेत्र, इन्हें श्रद्धा से देखा |
दीदी का आलेख, अनोखी चीजें लाया |
हिमगिरि का ननिहाल, हमें विधिवत समझाया ||
 
  
 
  
 यही है सेकुलरिज्म 
  Virendra Kumar Sharma 
 रोपे अंगद सा कदम, जाए रावण काँप ।
घबराहट में हो रहे, गडबड क्रिया-कलाप ।
गडबड क्रिया-कलाप, नाप रस्ता रे जालिम ।
बके अनाप-शनाप, दशानन-सेक्युलर-आलिम ।
सर्व-धर्म समभाव, नहीं भारत में लोपे ।
 हरदम जागृत हिन्दु ,  व्यर्थ यूँ ना आरोपे ।। 
 
अनुशंसा-तारीफ़, तनिक करना भी जानो-
विद्वानों की टोलियाँ, *बतर बोलियाँ बोल ।
करें कलेजा तर-बतर, पोल-पट्टियाँ खोल ।
पोल-पट्टियाँ खोल, झोल इसमें है लेकिन ।
नौसिखुवे हों गोल, हुवे हैं जिनको दो दिन ।
अनुशंसा-तारीफ़, तनिक करना भी जानो ।
अनजाने तकलीफ, नहीं दो हे!  विद्वानों ।।
*बुरी 
| 
बाशिंदे अतिशय सरल, धरम-करम से काम  । 
सरल हृदय अपना बना,  देखे उनमें राम । 
 देखे उनमें राम, नम्रता नहीं दीनता । 
दीन धर्म ईमान, किसी का नहीं छीनता । 
पाले हिन्दुस्थान,  युगों से जीव-परिंदे । 
है सभ्यता महान, बोल अब तो-बा-शिंदे ।। | 
 तो-बा-शिंदे बोल तू , तालिबान अफगान ।
काबुल में विस्फोट कर, डाला फिर व्यवधान ।
डाला फिर व्यवधान, यही क्या यहाँ हो रहा ?
होता भी है अगर, वजीरी व्यर्थ ढो  रहा ।
फूट व्यर्थ बक्कार, इन्हें चुनवा दे जिन्दे । 
होवे खुश अफगान, पाक के तो बाशिंदे ।। 
कर भला हो भला |
G.N.SHAW  
 
 
हटकु उठाया हाट से, नहीं चुकाया दाम |
मच्छ-घातिनी में फँसा, बुरा एक अंजाम |
बुरा एक अंजाम, पकी स्वादिष्ट मछलियाँ |
मछली कांटा कंठ, करे व्याकुल घर गलियाँ |
मछुवारा अनजान, मदद कुछ कर ना पाया
रोया बहुत दबंग, हटकु यमराज उठाया ||
मच्छ-घातिनी में फँसा, बुरा एक अंजाम |
बुरा एक अंजाम, पकी स्वादिष्ट मछलियाँ |
मछली कांटा कंठ, करे व्याकुल घर गलियाँ |
मछुवारा अनजान, मदद कुछ कर ना पाया
रोया बहुत दबंग, हटकु यमराज उठाया ||
 हिमगिरि के ननिहाल में (उत्तरार्ध). 
प्रतिभा सक्सेना
प्रतिभा सक्सेना
 लालित्यम् 
गुप्त कहीं गोदावरी, कहें गौतमी-गंग |
पञ्च नदी संगम विचित्र, ब्रह्मारण्या-अंग |
ब्रह्मारण्या-अंग, यही तो जीवन रेखा |
पूरा दक्षिण क्षेत्र, इन्हें श्रद्धा से देखा |
दीदी का आलेख, अनोखी चीजें लाया |
हिमगिरि का ननिहाल, हमें विधिवत समझाया ||
गुप्त कहीं गोदावरी, कहें गौतमी-गंग |
पञ्च नदी संगम विचित्र, ब्रह्मारण्या-अंग |
ब्रह्मारण्या-अंग, यही तो जीवन रेखा |
पूरा दक्षिण क्षेत्र, इन्हें श्रद्धा से देखा |
दीदी का आलेख, अनोखी चीजें लाया |
हिमगिरि का ननिहाल, हमें विधिवत समझाया ||
यही है सेकुलरिज्म
  Virendra Kumar Sharma 
 रोपे अंगद सा कदम, जाए रावण काँप ।
घबराहट में हो रहे, गडबड क्रिया-कलाप ।
गडबड क्रिया-कलाप, नाप रस्ता रे जालिम ।
बके अनाप-शनाप, दशानन-सेक्युलर-आलिम ।
सर्व-धर्म समभाव, नहीं भारत में लोपे ।
 हरदम जागृत हिन्दु ,  व्यर्थ यूँ ना आरोपे ।। 
| 
पैना पड़ता पीठ पर , लेकिन चमड़ी मोट । 
दमड़ी दमड़ी लुट गई, सहता रहता चोट । 
फोटो खिंचा रहा अनशन में । 
पैनापन तलवार सा, कैंची कतरे कान । 
सुन लो बात वजीर की, होता जो  हैरान- 
आग लगे उस नश्वर तन में ।। 
बा-शिंदे चाहे मरें,  कांगरेस परिवार । 
अव्वल रहते रेस में, शत्रु दलों को मार - 
यही इण्डिया, रहें वतन में ।।
 
गडके-करी समेत धन,  पता पता नहिं मित्र । 
छापे पड़ने लगे जब, हालत हुई विचित्र - 
बदल गया निर्णय फिर क्षण में ।।
 
बाप-पूत अन्दर गए, शिक्षक आये याद । 
दो दो मिल सोलह करे, शिक्षा हो बरबाद - 
हरियाणा में किस्सा जन्में ।। | 
 
 
 
 
हटकु उठाया हाट से, नहीं चुकाया दाम |
ReplyDeleteमच्छ-घातिनी में फँसा, बुरा एक अंजाम |
बुरा एक अंजाम, पकी स्वादिष्ट मछलियाँ |
मछली कांटा कंठ, करे व्याकुल घर गलियाँ |
मछुवारा अनजान, मदद कुछ कर ना पाया
रोया बहुत दबंग, हटकु यमराज उठाया ||
कांटे का फंसना महज़ इत्तेफाक है अगर करनी के साथ भरनी होती तो संसद में आसीन जेलों के तीर्थ तिहाड़ में होते .फंस गया उसे फंदा ,रह गया उसे आज़ादी .
उतार नजर ले बलैयां ,नजर न लगे किसी वक्र मुखी कलमुंहे की .
ReplyDeleteदिनेश चन्द्र गुप्ता ,रविकर
वरिष्ठ तकनीकी सहायक
इंडियन स्कूल ऑफ़ माइंस
धनबाद झारखण्ड
पिता: स्व. सेठ लल्लूराम जी गुप्ता
माता : स्व. मुन्नी देवी
धर्म-पत्नी : श्रीमती सीमा गुप्ता
सुपुत्र : कुमार शिवा ( सहायक प्रबंधक , TCIL, नई दिल्ली )
सुपुत्री : 1. मनु गुप्ता (ASE, TCS लखनऊ )
2. स्वस्ति-मेधा ( B Tech केमिकल इंजी )
बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,,
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,
सभी पोस्ट और उनपे आपकी कुण्डलिया बेहतरीन | सपरिवार आपको देखकर अच्छा लगा |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteवन्देमातरम् !
गणतन्त्र दिवस की शुभकामनाएँ!
आदरणीय गुरुदेव श्री बहुत ही सुन्दर कुण्डलिया हैं, पढ़ आनंदित होता मन. हारिद्क बधाई.
ReplyDelete