Sunday 16 October 2011

तुकबन्दियाँ करने लगा, होवे जरा नजरे-इनायत

 फातिमा  कुलसुम  जोहर  गोदाबरी 

सउदी  अरबिया की मलिका 

Most Beautiful Woman In THe World
क्षमा सहित, सादर  

सुन दर्द के ओ कारखाने, 
कम पड़ा क्या माल कच्चा 
आधा-अधूरा  ही बना,  
मझधार में  इक  और गच्चा ||

Image of Rusty the Boy Robot
है खुब जरुरत आँसुओं की, 
ये दिल दरकने के करीब-
अब जुल्म सारे सह सकूँगा,  
रह गया ना छोट बच्चा ||

उस रात खर्राटें भरीं थी
अखिल भारत गोष्ठी  में-
कैसे बनोगे श्रेष्ठ-शायर ?
 पूँछ  बैठे  बड़े  चच्चा ||  


  
Mirza_ghalib_t600
तुकबन्दियाँ  करने  लगा, 
होवे  जरा नजरे-इनायत-
आशुकवि  'रविकर' बने
  तू गटक मेरा प्रेम-सच्चा ||


10 comments:

  1. अच्छा भाव-प्रदर्शन करती रचना है।

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  2. वाह!!!वाह!!! क्या कहने, बेहद उम्दा

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  3. जरूरी कार्यो के कारण करीब 15 दिनों से ब्लॉगजगत से दूर था
    आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,

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  4. Dhany hain Ravi Ji aap...Kya majedaar rachna rachi hai...Badhai swiikaren

    Neeraj

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  5. वाह ...बहुत खूब

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  6. इशारों इशारों में ... बहुत खूब ...

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