कूद कूद के बूट से, दें जिन्दा को मार |
दें जिन्दा को मार, चले नारी पर डंडा |
पर नक्सल से पार, नहीं पाता बरबंडा |
पर नक्सल से पार, नहीं पाता बरबंडा |
रविकर परसों लेत, मिनिस्टर रहा सलामी |
नहीं चली पर गन, पुलिस गन सबसे नामी ||
थोड़े से में बड़ी बात कविता की खूबी भी यही है कम मे ज्यादा और भावपूर्ण संदेश जाता है
ReplyDeleteसार्थक और सटीक ..
ReplyDeleteरविकर बहुत अच्छे छा गए हमारे प्यारे भाई साहब !
ReplyDeleteआज तो नितीश जी को लपेट लिया ... सच है छा गए ..
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी देती पोस्ट.... आभार
ReplyDeleteविजय पर्व "विजयादशमी" पर आप सभी को ढेर सारी शुभकामनायें..
NICE.
ReplyDelete--
Happy Dushara.
VIJAYA-DASHMI KEE SHUBHKAMNAYEN.
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MOBILE SE TIPPANI DE RAHA HU.
ISLIYE ROMAN ME COMMENT DE RAHA HU.
Net nahi chal raha hai.
behtarin...sadar pranam ke sath
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिखा है आपने! लाजवाब प्रस्तुती!
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को दशहरे की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति.
ReplyDeleteबहुत खूब,दिनेश भाई.
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति .
ReplyDeleteयथार्थ पर तीक्ष्ण टिप्पणी.
ReplyDeleteवाह, बेहतरीन कुंडली।
ReplyDeleteयथार्थ पर प्रहार.
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत प्रस्तुति.
Excellent presentation !
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