(१)
जीती जदयू की नई, दुल्हन जब इस बार |
पितर-पाख में व्याह का, सीधा सारोकार |
अंतड़ी जब अकुलात, भात जूठा भी भाता |
रविकर कहे विचार, रही कुर्सी से प्रीती |
नहीं अंध-विश्वास, तोड़कर कविता जीती ||
(२)
बटुकनाथ की जूलियट, बनी ग्राम परधान |
नई नवेली आज, खड़ी दुल्हन जब तनकर |
लालू देखा दृश्य, कलेजा-नहिला दहला |
दहिला मार नितीश, जिताया जदयू महिला ||
नवभारत टाइम्स पर--
ReplyDeleteपाठको की राय
उपचुनाव में कांग्रेस चारों खाने चित
dinesh, 'ravikar',ISM Dhanbad,का कहना है:
जीती जदयू की नई, दुल्हन जब इस बार | पितर-पाख में व्याह का, सीधा सारोकार | सीधा सारोकार, जरूरत सब की माता | अंतड़ी जब अकुलात, भात जूठा भी भाता | रविकर कहे विचार, रही कुर्सी से प्रीती | नहीं अंध-विश्वास, तोड़कर कविता जीती ||
महिला शक्ती - करण में, जब बिहार अगुवान | बटुकनाथ की जूलियट, बनी ग्राम परधान | बनी ग्राम परधान, राबड़ी सी-यम बनकर | नई नवेली आज, खड़ी दुल्हन जब तनकर | लालू देखा दृश्य, कलेजा-नहिला दहला | दहिला मार नितीश, जिताया जदयू महिला ||
सुन्दर सटीक व्यंग...
ReplyDeleteइस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार के चर्चा मंच पर भी की जा रही है!
ReplyDeleteयदि किसी रचनाधर्मी की पोस्ट या उसके लिंक की चर्चा कहीं पर की जा रही होती है, तो उस पत्रिका के व्यवस्थापक का यह कर्तव्य होता है कि वो उसको इस बारे में सूचित कर दे। आपको यह सूचना केवल इसी उद्देश्य से दी जा रही है! अधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
कालेज के दो पुराने यार/दुश्मन रहते है ताक में ताकि मिले कोई मौका।
ReplyDeleteवाह बेहतरीन !!!!
ReplyDeleteव्यंग भी आप पुचकार के मारते हैं ... बहुत खूब ...
ReplyDeleteबेहद सटीक बातों की अभिव्यक्ति की है।
ReplyDeleteभौचक कर देती गुरू, तुकबंदी की चाल
ReplyDeleteपंखा बन नाचा करें, चौचक तेरा माल
जय हो प्रभो ....अति सुन्दर
ReplyDeleteसुन्दर अति सुन्दर सटीक ब्यंग से सजी अभिव्यक्ति ..जय हो आपकी...
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