री अजन्ते दूर अब तुझसे चला मैं,
विश्वास है बिलकुल नहीं कि भूल मैं तुझको सकूँगा -
जब रुपहली मोतियाँ खिलखिलायेंगी कभी -
घिर घटाएं माह पावस में सुनाएँ गरजने-
जब कभी व्याकुल नजर जा टिके उत्तुंग शिख पर -
ऋतुराज आकर या सुनाये जब प्रिये रव कोकिला-
याद कैसे छोड़ दूंगा तब भला मैं |
री अजन्ते दूर अब तुझसे चला मैं ||
सत्य है अब भी यही कि रूप पर आसक्त हूँ मैं -
पर तिमिर एकांत में, आवेश में उन्माद में भी -
कह नहीं सकती कि चाहा रूप पर अधिकार तेरे |
पर मधुप क्या दूर रह पाया मधुरता से कभी -
बन पतिंगा रूप पर तेरे जला मैं |
री अजन्ते दूर अब तुझसे चला मैं ||
पर समझ पाया नहीं मैं आप का यह खेल अब भी -
भूल करके इस भले को घर बनाओगी धरा पर -
खूबसूरत गुम्बदों को शीश पर ढोती रही तुम-
अंगूरी लताएँ खूबसूरत साथ में सजती रही जो -
चैन कैसे पा सकूँ उनको भुला मैं |
री अजन्ते दूर अब तुझसे चला मैं ||
वाह!
ReplyDeleteरचनाकाल चौंकाने वाला है। आप तो पुरनियां निकले!
बहुत सुन्दर है आपकी पहली रचना ...दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं..
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत रचना ....
ReplyDeleteदीपावली की शुभकामनायें
बहुत सुंदर रचना ..
ReplyDeleteरचना के समानांतर चित्रों के प्रयोग से पोस्ट उत्तम हो गया है ..
सपरिवार आपको दीपावली की शुभकामनाएं !!
बहुत सुन्दर रचना। आप तो पुराने कवि हैं।
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को दिवाली की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
बहुत सुन्दर रचना !
कह नहीं सकती कि चाहा रूप पर अधिकार तेरे |
ReplyDeleteपर मधुप क्या दूर रह पाया मधुरता से कभी -
१९७८ में आप तो कमाल का सृजन करते थे। पहली रचना ने ही एक उत्कृष्ट कवि के सारे गुण प्रदर्शित कर दिए।
इस रचना में अजन्ता के माध्यम से जे जीवन दर्शन आपने दिए हैं वह आकर्षित करता है।
आज एक गहरी रचना...
ReplyDeleteदीपावली की हार्दिक शुभकामनायें स्वीकार कीजिए.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...दीपावली की ढेरों शुभकामनाएं
ReplyDeleteप्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।
ReplyDeleteAwesome creation !...Loving it.
ReplyDeleteसार्वकालिक खूबसूरत प्रस्तुति .
ReplyDeletevery beautiful post ..
ReplyDeleteits nice to know that you started your writting journey from the year when i born ...
i wish for your long writting journey
http://aprnatripathi.blogspot.com/2011/10/blog-post_26.html
सुंदर प्रस्तुति।
ReplyDelete*दीवाली *गोवर्धनपूजा *भाईदूज *बधाइयां ! मंगलकामनाएं !
ईश्वर ; आपको तथा आपके परिवारजनों को ,तथा मित्रों को ढेर सारी खुशियाँ दे.
माता लक्ष्मी , आपको धन-धान्य से खुश रखे .
यही मंगलकामना मैं और मेरा परिवार आपके लिए करता है!!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति....दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं..रविकर जी
ReplyDeleteालग , शानदार भावमय प्रस्तुति। बधाई।
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत रचना ....
ReplyDeleteपहली रचना आपकी, भावों का उद्गार,
ReplyDeleteचहुं दिश गूंजे गगन में, रविकर सा विस्तार।