कोई नया नहीं है बहुत पुराना है फिर से आ रहा है वही दिन
सुशील कुमार जोशी
भैया जी शुभकामना, रहे आज तक झेल |
चले पचासों वर्ष यह, तुम दोनों का खेल |
तुम दोनों का खेल, मेल यह दौड़े सरपट |
जनम जनम की जेल, मुहब्बत-खटपट चटपट |
रविकर बाइस साल, कृपा कर दुर्गे मैया |
सकुशल कुल परिवार, रहें खुश भाभी भैया ||
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"लगे खाने-कमाने में" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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रविकर तनु अस्वस्थ, देख जन-गण लाचारी-
कुण्डलियाँ
(१)
दीखे अ'ग्रेसर खड़ा, छात्रा छात्र तमाम ।
करें एकश: अनुकरण, आवश्यक व्यायाम ।
आवश्यक व्यायाम, भंगिमा किन्तु अनोखी ।
कई डुबाएं नाम, हरकतें नइखे चोखी ।
वहीँ ईंट पर बाल, लगन से रविकर सीखे ।
ऊँची भरे उड़ान, सहज अनुकर्ता दीखे ॥
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भैया भ्रष्टाचार भी, भद्रकार भरपूर |
वाँछित करे विकास यह, मुँह में मियाँ मसूर |
मुँह में मियाँ मसूर, कर्मरत कई आलसी |
देश-काल गतिमान, बदलना नहीं पॉलिसी |
रविकर भकुआ एक, "आप" की लेत बलैया |
रहा जमाना देख, दाग भी अच्छे भैया ॥
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बहुत सुन्दर।
ReplyDeleteआपकी टिप्पणियाँ उतसाह बढ़ाती हैं।
वाह !
ReplyDeleteउल्लूक पर आपकी
नजरें इनायत हुई ।
बहुत बहुत आभार
रविकर जी ।
आपका स्नेह इसी तरह
बना रहे यही कामना है ।
आ० बढ़िया सूत्र व प्रस्तुति , धन्यवाद
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi
सुन्दर सूत्र एवं अति सुन्दर कुण्डलियाँ ..
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