भैया भ्रष्टाचार भी, भद्रकार भरपूर |
वाँछित करे विकास यह, मुँह में मियाँ मसूर |
मुँह में मियाँ मसूर, कर्मरत कई आलसी |
देश-काल गतिमान, बदलना नहीं पॉलिसी |
रविकर भकुआ एक, "आप" की लेत बलैया |
रहा जमाना देख, दाग भी अच्छे भैया ॥
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राहुल की रैली मे आओ 300 रुपये पाओ ( वीडियो सबूत )
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मज़बूरी मजदूर की, भैया पहले जान |राहुल बाबा से रही, है पहचान पुरान | है पहचान पुरान, फीस तो नहीं लगाए | देना पड़ता पॉंच, यहाँ पर किन्तु कमाए | दिनभर की जो आय, आय के देते पूरी | जय जय राहुल राज, राज रखना मजबूरी || |
दे *दिल्ले में आग, बिगाड़े आप रतालू -
तालू से लगती नहीं, जिभ्या क्यूँ महराज |
हरदिन पलटी मारते, झूँठों के सरताज |
झूँठों के सरताज, रहे सर ताज सजाये |
एकमात्र ईमान, किन्तु दुर्गुण सब आये |
मिर्च-मसाला झोंक, पकाई सब्जी चालू ।
दे *दिल्ले में आग, बिगाड़े आप रतालू ॥
*किवाड़ के पीछे लगा लकड़ी का चौकोर खूँटा
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दिल्ली को तहरीर चौक बनाना चाहता था - केजरीवाल की साजिश ( वीडियो )
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अंतर-तह तहरीर है, चौक-चाक में आग-
अंतर-तह तहरीर है, चौक-चाक में आग |
रविकर सर पर पैर रख, भाग सके तो भाग |
भाग सके तो भाग, जमुन-जल नाग-कालिया |
लिया दिया ना बाल, बटोरे किन्तु तालियां |
दिखे अराजक घोर, काहिरा जैसा जंतर |
होवे ढोर बटोर, आप में कैसा अंतर ||
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चिड़ियाघर कायल हुआ, बदल गया अंदाज ।
मोदनीय वातावरण, बाजीगर सर-ताज ।
बाजीगर सर-ताज, बाज गलती से आये ।
लेकिन गिद्ध समाज, बाज को गलत बताये ।
कौआ इक चालाक, बाँट-ईमानी पुड़िया ।
मिस-मैनेज कर काम, रोज भड़काए चिड़िया ॥
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आया पर आया सतत, नेह बिना सन्देह||
पाले बच्चा गैर का, रही दिखती नेह |
रही दिखती नेह, छोड़ने शाला जाए |
अपना बच्चा गेह, वहाँ चाहे चिल्लाये |
मलकिन करती मौज, मातु बन नाम कमाया |
लेती समय खरीद, समझ में रविकर आया ||
पाले बच्चा गैर का, रही दिखती नेह |
रही दिखती नेह, छोड़ने शाला जाए |
अपना बच्चा गेह, वहाँ चाहे चिल्लाये |
मलकिन करती मौज, मातु बन नाम कमाया |
लेती समय खरीद, समझ में रविकर आया ||
हमेशा की तरह
ReplyDeleteवाह !
सभी एक से बढ़कर एक ......हमेशा की तरह .....
ReplyDeleteधन्यवाद महोदय ......