जिन्दगी में योजनायें क्या बनाये
जिंदगी तो योजनाओं से परे है |
कौन-कब-कैसे-कहाँ-क्योंकर मिला,
प्रश्न ही यह कल्पनाओं से परे है ||
हम-हमी-हममे हमारा वक्त सारा
जिंदगी इन भावनाओं से परे है |
है नहीं कोई नियंत्रण आत्मा -
विज्ञान की अवधारणाओ से परे है ||
हो पास तो एहसास होते खुशनुमा
पाक है जो वासनाओ से परे है |
करणीय था, या निषेधक वाकया
जिंदगी तो वर्जनाओ से परे है ||
वक्त का तूफान हो या जलजला
मित्रता संभावनाओं से परे है |
जिन्दगी में योजनायें क्या बनाये
जिंदगी तो योजनाओं से परे है ||
बहुत बढ़िया गीतिका रची है आपने!
ReplyDeleteगुनहुनाने में मज़ा आ रहा है!
वक्त का तूफान हो या जलजला
ReplyDeleteमित्रता संभावनाओं से परे है |
जिन्दगी में योजनायें क्या बनाये
जिंदगी तो योजनाओं से परे है |
सच है जिंदगी में इन्सान की बनाई योजनायें नहीं चलती.
वक्त का तूफान हो या जलजला
ReplyDeleteमित्रता संभावनाओं से परे है ।
बहुत अच्छी कविता।
पसंद आई।
रविकर जी अभिवादन -सुन्दर पंक्तियाँ -लाजबाब -बधाई हो
ReplyDeleteहम-हमी-हममे हमारा वक्त सारा
जिंदगी इन भावनाओं से परे है |
है नहीं कोई नियंत्रण आत्मा -
विज्ञान की अवधारणाओ से परे है ||
शुक्ल भ्रमर ५
जिंदगी तो योजनाओं से परे है |
ReplyDeletemeaningful poem
'जिंदगी तो योजनाओं से परे है'
ReplyDeleteवाकई सच कहा भाया!
ज़िन्दगी तो वर्जनाओं से परे है ,
ReplyDeleteनाम अपना वर्ज्य नारी क्यों धरे है .
शब्द और भाव संयोजन अद्भुत है आपकी रचना का...बधाई स्वीकारें
ReplyDeleteनीरज
जिन्दगी में योजनायें क्या बनाये
ReplyDeleteजिंदगी तो योजनाओं से परे है |
सुन्दर रचना .
वक्त का तूफान हो या जलजला
ReplyDeleteमित्रता संभावनाओं से परे है |
जिन्दगी में योजनायें क्या बनाये
जिंदगी तो योजनाओं से परे है ||
बहुत ही बढि़या लिखा है आपने ।
क्या बात. बहुत सुंदर
ReplyDeletebahut hi sundar rachna
ReplyDeleteसुन्दर रचना बधाई
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