जश्न मनाती जा रहीं, बेगम मस्त महान,
अंगड़ाई ले छेड़ दीं, वही पुरानी तान |
वही पुरानी तान, सुबह से रौनक भारी-
करके फिर ऐलान, करीं जम के तैयारी |
है रविकर अफ़सोस, कभी न मुर्गा लाती,
"पर" काटी पच्चीस, जीत का जश्न मनाती ||
पर काटी / पर काटना ||
वैसे तो हमारे यहाँ बकरे की कन-कट्टी भी की जाती है, सांकेतिक बलि ||
वैसे तो हमारे यहाँ बकरे की कन-कट्टी भी की जाती है, सांकेतिक बलि ||
क्या व्यंग्य है,
ReplyDeleteआभार,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
हाँ भाई !
ReplyDeleteआज "हमारे" सफ़र के २५ वर्ष पूरे हुए ||
एक खास बात और
आज के ही दिन गत वर्ष
मेरे सुपुत्र कुमार शिवा ने
MNNIT, Allahabad से
B Tech कर
TCIL, New Delhi ज्वाइन किया ||
२५वीं वर्षगांठ तो नहीं ... बता रहे हैं।
ReplyDeleteबधाई। शुभकामनाएं।
अब इतने छायावादी ढंग से लिखिएगा तो समझना मुश्किल लगता है।
बहुत बढ़िया सटायर लिखा है आपने कुण्डलिया छन्द में!
ReplyDeleteकविताई समेत जीवन की तमाम सौगातों उपलब्धियों के लिए बधाई .बेटे को भी आशीष .
ReplyDelete२५वीं वर्षगांठ की बधाई तथा हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर पक्तिँयाँ
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया और ज़बरदस्त व्यंग्य रहा! शानदार प्रस्तुती!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
शानदार व्यंग्य
ReplyDeleteहै रविकर अफ़सोस, कभी न मुर्गा लाती,
ReplyDelete"पर" काटी पच्चीस, जीत का जश्न मनाती ||
प्रिय रविकर जी हार्दिक अभिवादन -इस पचीसवीं के चक्कर में बहुत दिमाग दौड़ना पड़ा अगर आप की मैडम के विषय में है तो कटने दीजिये मुर्गा ..वो तो बना ही है इसी लिए ख़ुशी देने के लिए ...जश्ने शाम मुबारका --हार्दिक शुभ कामनाएं -
अगर ये राज-नीति से सम्बंधित है कुछ तो फिर तो बहुत कुछ लिखना था ...वो मैडम कितनों के पर ..आगे भी खचाखच ....
भ्रमर ५
अगर ये राज-नीति से सम्बंधित है कुछ तो फिर तो बहुत कुछ लिखना था ...वो मैडम कितनों के पर ..आगे भी खचाखच ....
ReplyDeleteवाह नया अर्थ ||
मजेदार ||
बेगम साहिबा की जीत का जश्न मुबारक आपको .....
ReplyDeleteअब ये राज़ खोल ही दें ....!!
क़ुबूल हरिकिरत जी ||
ReplyDeleteसही फरमाया आप ने |
खूब परिश्रम किया है श्रीमती जी ने तभी आज बच्चे अच्छे इंसान और अच्छे एक्जीक्यूटिव बन पाए ||
घर में मुझे मिला कर ४ बच्चे हैं |
और आप तो जानती ही हैं की सामने रहने वाले की खैर नहीं |
पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ था तो सिखा था की साहब की अगाडी से और घोड़े की पछाड़ी से बचकर रहना चाहिए पर कहाँ -----
यह वाला अधिक अच्छा लगा।
ReplyDeleteमैडम को उनकी मेहनत और सुकर्म पर ढेर सारी बधाइयाँ
ReplyDelete....खूब परिश्रम किया है श्रीमती जी ने तभी आज बच्चे अच्छे इंसान और अच्छे एक्जीक्यूटिव बन पाए ||
घर में मुझे मिला कर ४ बच्चे हैं |
हमारे प्रिय इस बड़े बच्चे को भी बहुत अच्छे से सम्हाली जो आज हम सब के काम ....
भ्रमर ५