संजीवनी तुझको मिली आखिर कहाँ ?
रे कवि सच-सच बता कुछ मत छुपा ||
रे कवि सच-सच बता कुछ मत छुपा ||
तीस वर्ष पहले गज़ब घायल हुआ
दिल के सौ टुकड़े हुए मर-मर जिया |
काबिल बड़े इन्सान थे, ज़र्राह था
दिल के वे टुकड़े सिले, कायल हुआ ||
परहेज से बचकर रहा, पाई दवा
परहेज से बचकर रहा, पाई दवा
नेपथ्य से अपथ्य ये बोला गया -
सौंदर्य पर आकृष्ट होना भूल जा,
रे कवि सच-सच बता कुछ मत छुपा ||
रे कवि सच-सच बता कुछ मत छुपा ||
चूक लेकिन हो गई एक रोज़ दिल से
आस्मां उस भोर मादक सुर्ख था |
कूक कोयल की सुनी ऋतुराज आया
सारिका की टेर ने फिर गज़ब ढाया |
साज-सरगम ने किया खिलवाड़ दिल से
बदन-बुद्धि सीख सारे गए हिल से --
बाग़-बागम हो गया दिल मस्त झूमा,
और 'रविकर' ने उठाई कलम, चूमा ||
और 'रविकर' ने उठाई कलम, चूमा ||
अभी तक तो मिली नहीं, उसकी तलाश है भी नहीं,
ReplyDeleteतीस साल पहले घायल हुए को तो संजीवनी भी ठीक ना कर सकेगी?
ये जद्दोजहद सभी के भीतर चलती है.. बस कवि के पास एक विशेष कलम है इसलिए वह उस जद्दोजहद से भलीभाँति लड़ पाता है... आपकी कलम ने मन के भावों के लिए सुन्दर शब्दावली चुनने की विशेषज्ञता अर्जित कर ली है.
ReplyDelete.... यही तो मैं भी चाहता हूँ... निरंतर अभ्यास की प्रेरणा मिलती है आपसे.
बहुत ही सुन्दर है लेख
ReplyDeleteअब कलम रुकनी नहीं चाहिए ..बहुत खूबसूरत भाव
ReplyDeleteबाग़-बागम हो गया दिल मस्त झूमा,
ReplyDeleteऔर 'रविकर' ने उठाई कलम, चूमा |
aaj aapki kalam se ye jagat jhooma.badhai.
बड़ी अच्छी प्रेरणा...बड़ा अच्छा उद्योग और बड़ा ही अच्छा प्रतिफल...बधाई
ReplyDeleteबाग बागम का प्रयोग अच्छा लगा।
ReplyDeleteचूक लेकिन हो गई एक रोज़ दिल से
ReplyDeleteआस्मां उस भोर मादक सुर्ख था |
कूक कोयल की सुनी ऋतुराज आया
सारिका की टेर ने फिर गज़ब ढाया |
साज-सरगम ने किया खिलवाड़ दिल से
बदन-बुद्धि सीख सारे गए हिल से --
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बहुत सुन्दर रचना!
अच्छी प्रेरणा देती हुए रचना ..
ReplyDeleteतीस साल! दद्दा रे!
ReplyDeleteआपकी यह सुन्दर रचना मंगलवार के चर्चा मंच पर भी होगी आपसे अनुरोध है कि आप इस लिंक- http://charchamanch.blogspot.com/ पर वहाँ आयें और अपनी अनमोल राय से अवगत कराएं
ReplyDelete-ग़ाफ़िल
संजीवनी तुझको मिली ,आखिर कहाँ ,
ReplyDeleteरे कवि!सच सच बता मत कुछ छिपा .सुन्दर भाव अभिव्यक्ति .बधाई .
आप सेक्सार्थी पर आये ,घुमड़ उमड़ घुमड़ बरसे ,बोले बोल बिंदास जिनका अनु -गुंजन ज़ारी है .शुक्रिया .
साज-सरगम ने किया खिलवाड़ दिल से
ReplyDeletebeautiful poem
प्रीत के गीत नहीं बिसराना .सुन्दर प्रस्तुति .भाई प्रीत की रीत भी न बिसराना .द्रुत टिपण्णी के लिए आपका आभार .आपके यहाँ हमेशा नया ताज़ा कुछ मिलता है .शुक्रिया .
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