Monday 9 July 2012

लेकिन नए दबंग, चलाते अब सरकारें-

बिस्मिल को सादर नमन, बड़े शहीद दबंग |
नए दबंगों से परन्तु, अब होता कुल तंग  |
 
अब होता कुल तंग, भूमि का पट्टा पाया ।
नव-दबंग कब्जाय, कोर्ट में खुब उलझाया  |

तब तो थे अंग्रेज, दबंगों के हत्यारे  ।
 लेकिन नए दबंग, चलाते अब सरकारें ।।

" सुझाव "

Sushil at "उल्लूक टाईम्स " -  

अन्दर का बन्दर जबर, उछल कूद में तेज |
तोड़-फोड़ के फेंकता, जो भी रखो सहेज |


जो भी रखो सहेज, हुई सब शोक वाटिका |
खेलो पर्यावरण, सार्थक एक नाटिका |


रविकर का जब स्वार्थ, करे कुल बाग़ सफाचट |
करे अन्यथा वाद, धूप-पत्ता पर खटपट ||


 

6 comments:

  1. तब तो थे अंग्रेज, दबंगों के हत्यारे ।
    लेकिन नए दबंग, चलाते अब सरकारें ...सही बात

    ReplyDelete
  2. दबंग पिटाई भी कर देते हैं जरा संभल के !

    ReplyDelete
    Replies
    1. अभी तो बचा हूँ पिटते पिटते |
      क्षमा हे दबंग |
      बगैर गलती के भी प्राय: क्षमा मांग लेने की आदत हो गई है |
      भगवान बचाए दबंगों से, नए नंगो से-

      Delete
  3. वाह: बहुत सुन्दर..

    ReplyDelete
  4. तब तो थे अंग्रेज, दबंगों के हत्यारे ।
    लेकिन नए दबंग, चलाते अब सरकारें ।।
    क्या बात है ,रविकर भाई .

    ReplyDelete
  5. ब्लॉग-जगत में भी दबंगई चल रही है...!

    ReplyDelete