Saturday 21 July 2012

म्याऊं के सर-ताज, सिंह का डॉग दौर है -

देवेन्द्र पाण्डेय 
पीपल के पत्ते दिखे , लत्ते बिना शरीर ।
सुन्दरता मनभावनी, पी एम् सी के तीर ।

पी एम् सी के तीर, पीर लेकर हैं लौटे ।
कितने रांझे-हीर, यहीं पर छुपे बिलौटे ।

सौन्दर्य उपासक शिष्य,  खाय के सैंडिल चप्पल ।
धूनी रहे रमाय,  बुद्धि का दाता पीपल ।।


DR. ANWER JAMAL
दुनिया में हो शांती, आपस का विश्वास ।
महिना यह रमजान का, बड़ा मुबारक मास ।

बड़ा मुबारक मास, बधाई सबको भाई ।
भाई चारा बढे, ख़त्म होवे अधमाई ।

रविकर धर्मम चरति, धर्म में कहाँ खराबी ?
करे धर्म कल्याण, सुधारे जीवन- भावी ।

"ढाई आखर नही व्याकरण चाहिए" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')


 नीति-नियम व्याकरण का, सबसे अधिक महत्त्व ।
बिन इसके समझे नहीं, सार तत्व सा सत्व ।

सार तत्व सा सत्व, दृष्टि सम्यक मिल जाती ।
मिट जाते सब भरम, प्रेम रसधार सुहाती ।

नीति नियम लो जान, जान के दुश्मन बन्दे  ।
सुन आशिक नादान, बड़े जालिम ये फंदे ।।


अनिश्चितता के बादल !

पी.सी.गोदियाल "परचेत" 

मानसून माने नहीं, कभी चीन तूफ़ान ।
उच्च-दाब का क्षेत्र भी, कर देता हैरान । 

कर देता हैरान , नेह बरसाऊँ कैसे ।
लेती मन में ठान, किन्तु मैं आऊँ कैसे ।

बिन जंगल उद्यान, नहीं मेरा मन लागे ।
खड़े पास शैतान,  नहीं तो आऊँ आगे । 


बेवकूफ लोग नंबर दो के लीये झगडा कर रहे हैं!!

 
दो नंबर के खेल में, मचती ठेलम-ठेल ।
बड़े खिलाड़ी दे रहे, दावेदारी पेल ।

दावेदारी पेल, यहाँ पर सब निश्चिन्तन ।
खानदान का खेल, नहीं होना कुछ मंथन ।

पी एम नंबर तीन, बगल का चौथा नंबर ।
एंटोनी या शरद, बैठ के ताको अम्बर ।।


ram ram bhai
(1) 
बहुत सख्त एतराज है, कभी कटे ना केश |
पहले टाईप का नहीं, गलत सलत सन्देश  | 

गलत सलत सन्देश, शिकारी मानूं  कैसे |
खुद ही हुआ शिकार, कैट का चूहा जैसे |

जाने ख़ाक विदेश, ख़ास इक किस्म और है | |
म्याऊं के सर-ताज, सिंह का डॉग दौर है ।।

(2)

नकली गांधी डिग्रियां, नकली गांधी नाम ।
घी इनको पचता नहीं, देशी लगे हराम ।

देशी लगे हराम, जतन करके ले आये ।
सही चुकाए दाम, ठीक से हैं बनवाये ।

कर दोगे यदि केस, होयगी डिग्री मेरी ।
पासपोर्ट मम सही, सहो बाबा अन्धेरी ।।

बेटियों को नीलामी पर चढाने को अभिशप्त है यह मां

रवीन्द्र प्रभात 
नारी होती जा रही, दिन प्रति दिन हुशियार ।
जागृति आती जा रही, नैया होगी पार ।

नैया होगी पार, चार बेटी न होंगी ।
आये नए विचार, पुराने अब तक भोगी ।

नारीवादी समय, शीघ्र ही आ जायेगा ।
खुद का नव अंदाज, जगत को भी भाएगा ।।

"आज कुछ नहीं है"

सुशील
"उल्लूक टाईम्स "

कुछ हो जाते लोग जब,  कुछ समझा तब देश ।
कुछ-कुछ ऐसा कहें वे, कुछ को लगती ठेस ।

कुछ को लगती ठेस, आज कुछ नहीं लिखेंगे ।
दिन में जाते सोय,  रात भी नहीं दिखेंगे ।

धन्य-धन्य उल्लूक, पुत्र दुबई से पूछा ।
धांसू टिप्पण-कार, आज बैठा क्यूँ छूछा ??

कल सुपुत्र आपके बारे में पूछ रहे थे --

"मंजर बदल गए .." (चर्चा मंच-९४७)

सुन्दर चर्चा सजा के, सारे चर्चाकार |
पात्र सजा के सिद्ध हों, ऐसा धूर्त विचार |

ऐसा धूर्त विचार, अगर मानस में आवे  |
एक "वाद" का भूत, अगर सिर चढ़े नचावे |

दे हमको तू बख्स, झड़ा ले अपना माथा |
खोजें रचना श्रेष्ठ,  मंच यह गावें गाथा || 


विक्रम और वेताल

Ramakant Singh 

टुकड़े टुकड़े न हुवे, विक्रम का सर ठीक ।
प्रश्नों का बेताल फिर, लटका पड़ा सटीक ।

लटका पड़ा सटीक, आज का विक्रम भाई ।
हाँ-हाँ ना ना शीश, गजब अंदाज हिलाई ।

प्रश्नों के सौ टूक, लगाए मुंह पर ताला ।
विक्रम रहता मूक, पडा बेढब से पाला ।।

11 comments:

  1. सुन्दर प्रस्तुति..आभार

    ReplyDelete
  2. मानसून माने नहीं, कभी चीन तूफ़ान ।
    उच्च-दाब का क्षेत्र भी, कर देता हैरान
    आपके आशु कवित्त आशु कविताई का भी भाई साहब ज़वाब नहीं -

    काग भगोड़ा कैसे बना पूडल इस भाव की कोई रचना आपसे अपेक्षित है .हालाकि यह पूडल भी गोदी वाला है गोदी का कुत्ता है .हैं दोनों निस्सहाय ,करो कुछ रविकर भैया ,पूडल की लग जाए पार कुछ नैया ....

    ReplyDelete
  3. नकली गांधी डिग्रियां, नकली गांधी नाम ।
    घी इनको पचता नहीं, देशी लगे हराम ।
    बढ़िया विस्तार दिया है आपने राजवंश का जिनकी गोद में अपना पूडल खेलता है .

    ReplyDelete
  4. बाप रे! बड़ा तेज चैनल है आपका!! अभी चित्र डाला नहीं कि आपने कुंडली बनाकर इसे यहाँ प्रसारित कर दिया!!!.. धन्य हो आशु कवि।

    ReplyDelete
  5. मुहब्बत का बहुत उम्दा जज़्बा पिन्हां है आपके इन अल्फ़ाज़ में.
    रमज़ान के इस माहे मुबारक में गुनाहगार बंदा नेकतबीयत लोगों के लिए दुआ करेगा.
    शुक्रिया !

    ReplyDelete
  6. रविकर कुछ ऎसा टिपिया जाता है
    उसके टिपियाने के बाद पोस्ट
    एक टिप्पणी और उसकी टिप्पणी
    जैसे असली पोस्ट हो हो जाता है !

    ReplyDelete
  7. बहुत सुन्दर प्रस्तुति

    ReplyDelete
  8. सुन्दर लिंक्स है...
    :-)

    ReplyDelete
  9. अच्‍छी टिप्‍पणियां ..

    ReplyDelete
  10. पीपल के पत्ते दिखे , लत्ते बिना शरीर ।
    सुन्दरता मनभावनी, पी एम् सी के तीर ।
    बहुत बढ़िया रविकर जी ,जाने सबकी पीर .....रांझा हो या हीर .....

    ReplyDelete