Wednesday 18 July 2012

करे सुरक्षित नारि दो, लुटा जाय जो जान-

संतोष त्रिवेदी
बैसवारी baiswari

आज कुतर्की कह रहे, उस गुरु को आभार |
तर्क-शास्त्र जिसने सिखा, भुला दिया व्यवहार |

कल लुंगी पहने रहे, किया हवा की बात |
बरमुड्डा अब झाड़ के, बिता रहे हैं रात |


तुलसी सूर कबीर के, नव-आलोचक आज |
करे कल्पना काल की, नारि विधर्मी राज ||
शिखा कौशिक
भारतीय नारी 

करे सुरक्षित नारि दो, लुटा जाय जो जान ।
ऐ करीम टाटानगर, झारखण्ड की शान ।

झारखण्ड की शान, पीटते नारी गुंडे ।
कर करीम प्रतिरोध, हटाता वह मुस्टंडे ।

बची नारिया किन्तु,  उसे चाक़ू से गोदा ।
होता आज शहीद, उजड़ अब गया घरौंदा ।।

उल्लूक टाईम
समय और दिल 

 जिगरा वाले आज कल, बड़े कलेजे-दार  ।
दिल छोटा सा कल लिए, घूमे हम बेकार ।

 घूमे हम बेकार, चरण चौथे में जाएँ ।
बिकता देखें प्यार, लौट के चौथी आये ।

रविकर रो दिन चार, हार कर कविता रचते ।
किन्तु आज का प्यार, देख सिर चढ़ कर नचते ।।

सावन के रंग

देवेन्द्र पाण्डेय at बेचैन आत्मा  

ज्यामिति का यह पाठ है, या खेलों का ट्रैक ।
पथ मैराथन रेस का, एक वर्ष का पैक ।

एक वर्ष का पैक, स्वेद-जल से यह लथ-पथ 
बड़े खड़े वे पेड़, देखते अपना स्वारथ ।

भाग-दौड़ का खेल, लड़े कुदरत से कुश्ती ।
तब पावें भरपेट, करें थोड़ी सी मस्ती ।।
एक ब्लाग सबका
काका का वो कहकहा, कथ्यों  का आनंद ।
वर्षों से पड़ता रहा, मंद मंद अब बंद ।

मंद मंद अब बंद, सुपर-स्टार बुलवाये  ।
तारा मंडल बड़ा, गगन पर प्रभु जी लाये ।

चमकोगे  अनवरत,  दिखोगे छैला बांका ।
खूब करो आनंद, प्रेम नगरी में काका ।।

जिसने लास वेगास नहीं देखा

veerubhai
कबीरा खडा़ बाज़ार में


 नंगों के इस शहर में, नंगों का क्या काम ।
बहु-रुपिया पॉकेट धरो, तभी जमेगी शाम ।

तभी जमेगी शाम, जमी बहुरुपिया लाबी ।
है शबाब निर्बंध, कबाबी विकट शराबी

मन्त्र भूल निष्काम, काम-मय जग यह सारा ।
चल रविकर उड़ चलें, घूम न मारामारा ।।
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वाणी अपनी श्रेष्ठतम, तम हरती दिन-रात |
सद्पथ करती अग्रसर,  ब्लॉगों की बारात |


ब्लॉगों की बारात, सफ़र यह दो सालों का |
बड़ी मुबारकवाद,  मिला रविकर को मौका |


आयोजक आभार, कर्म कुल जग-कल्याणी |
द्वार द्वार पर पहुँच, जगाय हमारी वाणी |



8 comments:

  1. बढ़िया व्यंजन दिए परोस....:-)

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  2. माना कि बहुत ही सुंदर
    सुंदर टिप्पणियों में
    आप टिपियाते हो
    सारे समझदार लोगों के
    सुंदर ब्लाग भी लाकर
    यहाँ लगाते हो
    बस ये ही समझ में
    ऊल्लूक के नहीं आता है
    एक उल्लू बीच में लाकर
    काहे को घुसाते हो?

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  3. वाह ... बेहतरीन

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  4. सलाम इस बहादुर को जिसने मानवता को कलंकित होने से बचाया .मैंने इस खबर को dhoondhne ka prayas kiya hai पर asafal rahi aap vistar से इस पर एक पोस्ट लिखें व् bhartiy nari पर पोस्ट karen .मैं आपकी आभारी होंगी .

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