Thursday 19 July 2012

रविकर बंदनवार, राष्ट्रपति का सजता है-

करे सुरक्षित नारि दो, लुटा जाय जो जान-

 की ही कुछ और 

टिप्पणी & लिंक्स 

मुलायम सिंह की साईकिल में रिवर्स गियर भी है


उड़ा पड़ा तृण मूल से, होवे ममता ख़त्म ।
चरणों में जाकर चढ़ा, निभा गया बस रस्म ।

निभा गया बस रस्म, मुलायम पंखुड़ियों ने ।
पछुवा रुख पहचान,  लगे जाकर लड़ियों में |

रविकर बंदनवार, राष्ट्रपति का सजता है |
दो ही ढपली राग,  अलग ममता बजता है ||

जिसने लास वेगास नहीं देखा

veerubhai
कबीरा खडा़ बाज़ार में


 नंगों के इस शहर में, नंगों का क्या काम ।
बहु-रुपिया पॉकेट धरो, तभी जमेगी शाम ।

तभी जमेगी शाम, जमी बहुरुपिया लाबी ।
है शबाब निर्बंध, कबाबी विकट शराबी

मन्त्र भूल निष्काम, काम-मय जग यह सारा ।
चल रविकर उड़ चलें, घूम न मारामारा ।।

चलो किसी रोते हुए को हंसाया जाए ---

डॉ टी एस दराल 

 हँसने वाले हैं भले, उनकी हंसी अमूल ।
टेंसन फ्री रहते सदा, खिलता जीवन फूल ।
 खिलता जीवन फूल, डाक्टर साहब कहते ।
रविकर भला उसूल, लतीफे कहते रहते ।
ऐसे सज्जन वृन्द, अन्य को रहें हंसाते ।
हल्का रख माहौल,  टेंसन सदा भगाते ।।

4 comments:

  1. बढिया प्रस्‍तुति ... आभार

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  2. सुन्दर प्रस्तुति .बधाई .

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  3. बढिया प्रस्‍तुति .

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