Sunday, 14 February 2016

मूढात्मा चित्कारती, सुन माँ करुण पुकार-

घनाक्षरी 
श्वेत पट में लिपट, धवलहार धारिणी
वीणा लिए पदम् पे, शारदे विराजती।
पूजते त्रिदेव नित, इंद्र वक्रतुंड यम
वरुण आदि साथ ले, उतारते आरती।
अंधकार दूर कर, ज्ञान का उजेर भर
मूढ़ द्वार पर पड़ा, त्राहिमाम भारती।
पंचमी बसंत आज, चहुँओर रंग रास
जड़ भी चैतन्य होय, जय हो उच्चारती।।


कुण्डलियाँ 
मातु शारदे शत नमन, नमन जीवनाधार। 
मूढात्मा चित्कारती, सुन माँ करुण पुकार। 
सुन माँ करुण पुकार, कृपा कर वीणापाणी। 
आकर स्वयं विराज, पुकारे रविकर वाणी। 
कर जग का कल्याण, शिवम् संसार सार दे। 
करके तमस विनाश, ज्योति दे मातु शारदे।।

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