Tuesday, 2 February 2016

रविकर के दोहे :पढ़ो वेदना वेद ना, कम कर दो परिमाण

(१)
पढ़ो वेदना वेद ना, कम कर दो परिमाण |
रविकर तू परहित रहित, फिर कैसे निर्वाण ||

(२)
मुश्किल मे उम्मीद का, जो दामन ले थाम |
जाये वह जल्दी उबर, हो बढ़िया परिणाम ||

(३)
छलिया तूने हाथ में, खींची कई लकीर |
मैं भोला समझा किया, इनमे ही तक़दीर ||

(४)
करे बुराई विविधि-विधि, जब कोई शैतान |
चढ़ी महत्ता आपकी, उसके सिर पहचान ||

(५)
बंधी रहे उम्मीद तो, कठिन-समय भी पार |
सब अच्छा होगा जपो, यही जीवनाधार ||

(६)
नहीं सफाई दो कहीं, यही मित्र की चाह |
शत्रु करे शंका सदा, क्या करना परवाह ||

(७)
गलती होने पर करो, दिल से पश्चाताप |
हो हल्ला हरगिज नहीं, हरगिज नहीं प्रलाप ||



2 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 03 फरवरी 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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