सुनते जब नव चुटकुला, हँसते हम तत्काल ।
किन्तु दुबारा क्यूँ हंसें, हुआ पुराना माल ।
हुआ पुराना माल, मगर चिंता जब आती।
बिगड़ जाय सुरताल, हमें सौ बार रुलाती।
भिन्न भिन्न व्यवहार, नहीं रविकर यूँ चुनते।
चिंता उसी प्रकार, चुटकुला जैसे सुनते।।
वाह !
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