बेटी दामाद के साथ हम दोनों |
कुण्डलियाँ छंद
अभिभावक अभिभूत हैं, व्याह हुआ संपन्न ।
सदा सुहागिन मनु रहे, जोड़ी रहें प्रसन्न।
जोड़ी रहें प्रसन्न, दुलारी बिटिया रानी।
करते कन्यादान, नहीं फिर भी बेगानी ।
पूरे फेरे सात, प्रज्वलित पावन पावक।
रखो वचन कुल याद , राम तेरे अभिभावक।।
दोहे
साहस संयम शिष्टता, अनुकम्पा औदार्य |
मितव्ययी निर्बोधता, न्याय-पूर्ण सद्कार्य ||
क्षमाशीलता सादगी, सहिष्णुता गंभीर |
सच्चाई प्रफुल्लता, निष्कपटी मन धीर ||
शुद्धि स्वस्ति मेधा रहे, हो चारित्रिक ऐक्य |
दानशीलता आस्तिक, अग्र-विचारी शैक्य ||
सात वचन
पहले फेरे के वचन, पालन-पोषण खाद्य |
संगच्छध्वम बोलते, बाजे मंगल वाद्य ||
ऋद्धि सिद्धि समृद्धि हो, त्रि-आयामी स्वास्थ |
भौतिक तन अध्यात्म मन, मिले मानसिक आथ ||
धन-दौलत या शक्ति हो, ख़ुशी मिले या दर्द |
भोगे मिलकर संग में, दोनों औरत-मर्द ||
इक दूजे का नित करें, आदर प्रति-सम्मान |
परिवारों के प्रति रहे, इज्जत एक समान ||
सुन्दर योग्य बलिष्ठ हो, अपने सब संतान |
कहें पाँचवा वचन सुन, बुद्धिमान इंसान ||
शान्ति-दीर्घ जीवन मिले, भूलें नहिं परमार्थ |
सिद्ध सदा करते रहें, इक दूजे के स्वार्थ ||
रहे भरोसा परस्पर, समझदार-साहचर्य |
प्रेमपुजारी बन रहें, बने रहें आदर्य ||
शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteबहुत-बहुत मुबारक हो, ढेरों शुभकामनाएं!
ReplyDeleteनवदम्पत्ति को मेरे शुभाशीष।
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आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (06-02-2016) को "घिर आए हैं ख्वाब" (चर्चा अंक-2244) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'