Sunday 23 October 2011

रविकर की पहली रचना ; अक्तूबर1978

री अजन्ते दूर अब तुझसे चला मैं, http://www.shunya.net/Pictures/South%20India/Ajanta/AjantaCaves38.jpg

विश्वास है बिलकुल नहीं कि भूल मैं तुझको सकूँगा -
जब रुपहली मोतियाँ खिलखिलायेंगी कभी -
घिर घटाएं माह पावस में सुनाएँ गरजने-
जब कभी व्याकुल नजर जा टिके उत्तुंग शिख पर -
ऋतुराज आकर या सुनाये जब प्रिये रव कोकिला-
याद कैसे छोड़ दूंगा तब भला मैं |
री अजन्ते दूर अब तुझसे चला मैं ||

India Ajanta Cave Painting: Ajanta Caves Photos, Ajanta Caves Wallpapers, Ajanta Caves Galleries ...
सत्य है अब भी यही कि रूप पर आसक्त हूँ मैं -
पर तिमिर एकांत में, आवेश में उन्माद में भी -
कह नहीं सकती कि चाहा रूप पर अधिकार तेरे |
पर मधुप क्या दूर रह पाया मधुरता से कभी -
बन पतिंगा रूप पर तेरे जला  मैं |
री अजन्ते दूर अब तुझसे चला मैं ||
http://www.shunya.net/Pictures/South%20India/Ajanta/Ajanta08.jpg
पर समझ पाया नहीं मैं आप का यह खेल अब भी -
भूल करके इस भले को घर बनाओगी धरा पर -
खूबसूरत गुम्बदों को शीश पर ढोती रही तुम-
अंगूरी लताएँ खूबसूरत साथ में सजती रही जो -
चैन कैसे पा सकूँ उनको भुला मैं |
री अजन्ते दूर अब तुझसे चला मैं ||

19 comments:

  1. वाह!
    रचनाकाल चौंकाने वाला है। आप तो पुरनियां निकले!

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर है आपकी पहली रचना ...दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं..

    ReplyDelete
  3. बहुत खूबसूरत रचना ....

    दीपावली की शुभकामनायें

    ReplyDelete
  4. बहुत सुंदर रचना ..
    रचना के समानांतर चित्रों के प्रयोग से पोस्‍ट उत्‍तम हो गया है ..
    सपरिवार आपको दीपावली की शुभकामनाएं !!

    ReplyDelete
  5. बहुत सुन्दर रचना। आप तो पुराने कवि हैं।

    ReplyDelete
  6. बहुत खूबसूरत

    ReplyDelete
  7. आपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को दिवाली की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
    बहुत सुन्दर रचना !

    ReplyDelete
  8. कह नहीं सकती कि चाहा रूप पर अधिकार तेरे |
    पर मधुप क्या दूर रह पाया मधुरता से कभी -

    १९७८ में आप तो कमाल का सृजन करते थे। पहली रचना ने ही एक उत्कृष्ट कवि के सारे गुण प्रदर्शित कर दिए।

    इस रचना में अजन्ता के माध्यम से जे जीवन दर्शन आपने दिए हैं वह आकर्षित करता है।

    ReplyDelete
  9. आज एक गहरी रचना...


    दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें स्वीकार कीजिए.

    ReplyDelete
  10. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...दीपावली की ढेरों शुभकामनाएं

    ReplyDelete
  11. प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।

    ReplyDelete
  12. Awesome creation !...Loving it.

    ReplyDelete
  13. सार्वकालिक खूबसूरत प्रस्तुति .

    ReplyDelete
  14. very beautiful post ..
    its nice to know that you started your writting journey from the year when i born ...
    i wish for your long writting journey
    http://aprnatripathi.blogspot.com/2011/10/blog-post_26.html

    ReplyDelete
  15. सुंदर प्रस्‍त‍ुति।



    *दीवाली *गोवर्धनपूजा *भाईदूज *बधाइयां ! मंगलकामनाएं !

    ईश्वर ; आपको तथा आपके परिवारजनों को ,तथा मित्रों को ढेर सारी खुशियाँ दे.

    माता लक्ष्मी , आपको धन-धान्य से खुश रखे .

    यही मंगलकामना मैं और मेरा परिवार आपके लिए करता है!!

    ReplyDelete
  16. बहुत सुन्दर प्रस्तुति....दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं..रविकर जी

    ReplyDelete
  17. ालग , शानदार भावमय प्रस्तुति। बधाई।

    ReplyDelete
  18. बहुत खूबसूरत रचना ....

    ReplyDelete
  19. पहली रचना आपकी, भावों का उद्गार,
    चहुं दिश गूंजे गगन में, रविकर सा विस्तार।

    ReplyDelete