महेन्द्र श्रीवास्तव
सेना जब नारायणी, दुर्योधन के संग |
टिका रहे कुरुक्षेत्र में, कामी संत मलंग |
कामी संत मलंग, अंग से अंग लगाये |
किन्तु करे न जंग, व्यर्थ बहुरुपिया धाये |
गदा उठा ले भीम, कमर के नीचे देना |
भूल जाय दुष्कर्म, भक्त की चेते सेना ||
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पी.सी.गोदियाल "परचेत"
दारुण दिखता दृश्य यह, गायब दोनों हाथ | पैरों पर स्याही लगे, सत्साहस है साथ | सत्साहस है साथ, अनोखा वोटर आया | करता चोखा काम, एक सन्देश सुनाया | धन्य धन्य विकलांग, देह से दीखे भारु | लेकिन हैं कुछ लोग, मांगते पहले दारू || |
आंसुओं के मोल
राजीव कुमार झा
लो स्वाभाविक रूप से, अपने हर्ष-विषाद | खूब हँसे उन्मुक्तता, रो लो जब अवसाद | रो लो जब अवसाद, अश्रु ये मूल्यवान हैं | जी हल्का हो जाय, अश्रु औषधि समान हैं | रविकर राजिव-नैन, नीर से कीचड़ धोलो | यदि उदास बेचैन, मित्र जी भर कर रो लो || |
मरने की खातिर पुलिस, रोक सके के क़त्ल |
बनती नीति नितीश की, देखो सी एम् शक्ल |
देखो सी एम् शक्ल, हाथ पर हाथ धरे हैं-
हो हत्या अपहरण, नक्सली घात करे हैं |
नहीं रहा जूँ रेंग, हिलाया नहीं खबर ने |
सी एम् देते छोड़, पुलिस-पब्लिक को मरने ||
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बाला गर कश्मीर की, कर ले बाहर व्याह |
हक़ खोवे संपत्ति का, धारा बनी गवाह |
धारा बनी गवाह, तीन सौ सत्तर लगती |
अदालती आदेश, सुनंदा पुष्कर जगती |
चर्चा से इंकार, मचाये लोग बवाला |
तब मोदी के साथ, खड़ी कश्मीरी बाला ||
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सेना है नारायणी, साईँ करो क़ुबूल-
पेशी साईँ की इधर, फूल बिछाते फूल |
सेना है नारायणी, साईँ करो क़ुबूल |
साईँ करो क़ुबूल, किन्तु नहिं जुर्म कबूला |
झोंक आँख में धूल, सतत दक्षिणा वसूला |
बेशक नारा ढील, किन्तु फॉलोवर वेशी |
भागा लाखों मील, हुई दिल्ली में पेशी ||
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बेहतरीन उम्दा अभिव्यक्ति...!
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Recent post -: वोट से पहले .
उम्दा चर्चा सुंदर टिप्पणियां !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (06-12-2013) को "विचारों की श्रंखला" (चर्चा मंचःअंक-1453)
पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'