आधा सच... महेन्द्र श्रीवास्तव
खरी खरी रख तथ्य कुल, करें व्याख्या आप |
दिल्ली में जब आपका, पसरा प्रबल प्रताप |
पसरा प्रबल प्रताप. परख बड़बोले बोले |
किन्तु केजरीवाल, विधायक क्षमता तोले |
पचा सके ना जीत, जीत से मची खरभरी |
लफुआ अनुभवहीन, चेंगडे करें मसखरी ||
नकारात्मक गुण छिपा, ले ईमान की आड़ ।
व्यवहारिकता की कमी, दुविधा रही बिगाड़ ।
दुविधा रही बिगाड़, तर्क-अभिव्यक्ति जरुरी ।
आपेक्षा अब आप, करो दिल्ली की पूरी ।
पानी बिजली सहित, प्रशासन स्वच्छ सकारा ।
वायदे करिये पूर, अन्यथा कहूं नकारा ॥
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कारें चलती देश में, भर डीजल-ईमान |
अट्ठाइस गण साथ में, नहिं व्यवहारिक ज्ञान |
नहिं व्यवहारिक ज्ञान, मन्त्र ना तंत्र तार्किक |
*स्नेहक पुर्जे बीच, नहीं ^शीतांबु हार्दिक |
*लुब्रिकेंट ^ कूलेंट
गया पाय लाइसेंस, एक पंजे के मारे |
तो स्टीयरिंग थाम, चला दिखला सर-कारें ||
द्विलिंगी गुट *गेगले, गन्दी करते औनि-
समलैंगिकता और समलैंगिक सम्बन्ध क़ानून का विषय न होकर हमारी सामाजिकता ,नीति शाश्त्र और धर्म सम्मत आचरण से जुड़े विषय हैं
Virendra Kumar Sharma
कुक्कुर के पीछे लगा, कुक्कुर कहाँ दिखाय |कुतिया भी देखी नहीं, कुतिया के मन भाय | कुतिया के मन भाय, नहीं पाठा को देखा | पढ़ते उलटा पाठ, बदल कुदरत का लेखा | पशु से ही कुछ सीख, पाय के विद्या वक्कुर | गुप्त कर्म रख गुप्त, अन्यथा सीखें कुक्कुर ||
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सुंदर अभिव्यक्ति...!
ReplyDeleteRECENT POST -: मजबूरी गाती है.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
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