क्या इनमें कोई भी सेलेब्रिटी है ??? ... डा श्याम गुप्त ....
केंचुल कामी का चुवे, धरे केंचुवा यौनि |
द्विलिंगी गुट *गेगले, गन्दी करते औनि |
गन्दी करते औनि, बनाये तन मन रोगी |
पशुचर्या पशु-काम, हुवे हैं पशुवत भोगी |
सरेआम व्यवहार, गेंगटे रविकर गेंदुल |
रख उरोज, पर, दन्त, गेगले छोड़ें केंचुल ||
गेगले=*मूर्ख
गेंदुल=चमगादड़
गेंगटे=केकड़े
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समलैंगिकता और समलैंगिक सम्बन्ध क़ानून का विषय न होकर हमारी सामाजिकता ,नीति शाश्त्र और धर्म सम्मत आचरण से जुड़े विषय हैं
Virendra Kumar Sharma
कुक्कुर के पीछे लगा, कुक्कुर कहाँ दिखाय |कुतिया भी देखी नहीं, जो कुतिया-मन भाय |
कुतिया के मन भाय, नहीं पाठा को देखा |
पढ़ते उलटा पाठ, बदल कुदरत का लेखा |
पशु से ही कुछ सीख, पाय के विद्या वक्कुर |
गुप्त कर्म रख गुप्त, अन्यथा सीखें कुक्कुर ||
क्या करे कोई गालिब खयाल वो नहीं हैं अब
सुशील कुमार जोशी
ठुमरी पर ठुमके लगा, ख्याली पके पुलाव |
राम राज्य आने लगा, बस इक और चुनाव |
बस इक और चुनाव, मुसल्लसल बस इमान है |
बे-इमान यह जगत, आप की बढ़ी शान है |
पानी बिजली मुफ्त, मुफ्त में कुरता चुनरी |
मुफ्त मिले आवास, मुफ्त में सुनिये ठुमरी |||
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"आप" के पाप
ZEAL
यह तो पक्की बात है, ले मुस्लिम का साथ ।
खा जाएगा हाथ को, फिर पकडे वह पाथ ।
फिर पकडे वह पाथ, रास्ता वह कम्युनिस्टी ।
मुस्लिम तुष्टिकरण, हिन्दु प्रति टेढ़ी दृष्टी ।
खतरनाक यह व्यक्ति, हमें तो लगता बक्की ।
बना ढपोरी-शंख, बात है यह तो पक्की ॥
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्सुन्दर प्रस्तुति...
ReplyDeleteबहुत सुंदर टिप्पणी "क्या करे कोई गालिब खयाल वो नहीं हैं अब" में जान आ गई आभार !
ReplyDeleteकेंचुल कामी का चुवे, धरे केंचुवा यौनि |
ReplyDeleteद्विलिंगी गुट *गेगले, गन्दी करते औनि |
गन्दी करते औनि, बनाये तन मन रोगी |
पशुचर्या पशु-काम, हुवे हैं पशुवत भोगी |
सरेआम व्यवहार, गेंगटे रविकर गेंदुल |
रख उरोज, पर, दन्त, गेगले छोड़ें केंचुल ||
कई चैनल सोनिया जी और राहुल को लगातार समलैंगिकता की हिमायत करते दिखला रहे हैं .जैसे ये राष्ट्रीय संकट की घडी हो .कमरे में चाहे कोई पशु को बंद करके व्यभिचार करे . इन वोट भुक्खड़ों को वोट चाहिए .
ReplyDeleteकलम तोड़ दी भाई साहब आज आपने लिंक लिख्खाड़ पर .सलामत रहो आबाद रहो .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (13-12-13) को "मजबूरी गाती है" (चर्चा मंच : अंक-1460) पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'