देवदारों ने नहीं अब तक, भला कुछ भी किया
आम-इमली ही भले हैं, क्यों चढ़े हो चीड़ पे ।
गलतियों से जो नहीं, कुछ सीख पाये आजतक
आज ऐसे ज्ञानियों की, क्या जरुरत नीड़ पे |
हर तरफ संगीत की दीवानगी है शोर है
मंडली लेकिन नई फंसती दिखे हर मीड़ पे ।
छूट जाते जब अधूरे, साक्ष्य से शैतान तो
छोड़ देना चाहिए तब फैसला उस भीड़ पे ।
क्या बात है बढ़िया ।
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