न्यूज रूम का पारा पचास के पार !मौका देकर कर रहे, सम्पादक एहसान | गाली देकर इसलिए, कर जाते अपमान | कर जाते अपमान, नरम अपनाय रवैया | करें व्यक्ति उत्थान, अन्यथा ता ता थैया | तिगनी नाच नचाय, लगा जायेंगे चौका | रविकर बंधुवा नाय, मिले बाहर भी मौका- |
सपने !!! ( कविता )
"आकांक्षा के पर क़तर, तितर बितर कर स्वप्न |
दुःख अपने जो दें अगर, निश्चय बड़े कृतघ्न ||
पंचों से फैसला करा के ,मम्मी पापा बाँट लिए -सतीश सक्सेना
सतीश सक्सेना
काम मिल गया दोनों को ही फिर जिंदड़ी आसान हुई - पुन: बुढ़ापा आहें भरता, तन्हाई मेहमान हुई | |
दिल्ली की ही देन, बड़े आतंकी नक्सल
नक्सल ने नेता हने, गर्म दिखे युवराज |
छत्तिसगढ़ सरकार को, कोस रहे हैं आज |
कोस रहे हैं आज, आज ही घुस आतंकी |
मारे सैनिक ढेर, नहीं बोले पर बंकी |
नहीं दिखे अब शर्म, काम नहिं करती अक्कल |
दिल्ली की ही देन, बड़े आतंकी नक्सल ||
सियासती सुपनखा से, सिया-सती अनभिज्ञ-
सियासती सुपनखा से, सिया-सती अनभिज्ञ |
अब क्या आशा राम से, हो रहे स्खलित विज्ञ |
हो रहे स्खलित विज्ञ, बने खरदूषण साले |
घालमेल का खेल, बुराई कुल अपना ले |
नित आगे की होड़, रखेंगे बढ़ा ताजिया |
सिया सती की लाज, बचा ले पकड़ हाँसिया ||
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काली कॉफ़ी पीजिये, कट जाने दो नाक-
लाशों पर टेबुल सजे, बैठे भारत पाक |
काली कॉफ़ी पीजिये, कट जाने दो नाक |
कट जाने दो नाक, करें हमले वे दैनिक |
मरती जनता आम, मरें सीमा पर सैनिक |
रविकर कर आराम, बैठ प्रभुसत्ता नाशो |
फिर टकराओ जाम, अरी सरकारी लाशों ||
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अगर शत्रु के नाम, बड़े आरोप लगाए -
कुटनी के करतूत से, कूटनीति नाकाम |
चालू है अब धूर्तता, पाई शक्ति तमाम |
पाई शक्ति तमाम, छूट अपराधी पाए |
अगर शत्रु के नाम, बड़े आरोप लगाए |
हेर फेर अज मेर, शेर की इज्जत लुटनी |
चूक हुई इस बार, फँसा देगी पर कुटनी ||
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सुंदर संयोजन सुंदर कुंडलियों के साथ !
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