Saturday 28 September 2013

शीघ्र बुला के प्रेस, गोलियां भर भर दागी-


कल तक चाँद हो रहा था रात ही रात में दाग हो गया

Sushil Kumar Joshi 

दागी अध्यादेश पर, तीन दिनों में खाज |
श्रेष्ठ मुखर-जी-वन सदा, धत मौनी युवराज |

धत मौनी युवराज, बड़े गुस्से में लालू |
मारक मिर्ची तेज, चाट ले किन्तु कचालू |

सुबह मचाये शोर, नहीं महतारी जागी |
शीघ्र बुला के प्रेस, गोलियां भर भर दागी ||  


सुधि नहि आवत.( विरह गीत )

 धीरेन्द्र सिंह भदौरिया 

पूस फूस सा दिन उड़ा, किन्तु रात तड़पाय |
दिवस बिताऊं ऊंघ कर, जाड़ा जियरा खाय |

जाड़ा जियरा खाय, रजाई नहिं गरमाए |
भर भर के उच्छ्वास, देह में अगन जलाए |

फिर भी रविकर चैन, रैन का गया *रूस सा |
दूरभाष के बैन, उड़ें ज्यों पूस फूस सा || 

*गुस्सा 

सम्‍बंधों का बाईस्‍कोप !!!

सदा




यही भरोसा ही सदा, उचित प्रेम पर्याय | 
प्रेम अन्यथा हैं कहाँ, गर भरोस उठ जाय ||


नापसंदगी के अधिकार ( No Vote ) को नकारने का अधिकार ( Right to Reject ) बताया जा रहा है !!

पूरण खण्डेलवाल 





यह भी तो है झुनझुना, खड़ा कुनमुना व्यक्ति |
नेता तो चुनकर गया, व्यर्थ दिखाया शक्ति ||

काली कॉफ़ी पीजिये, कट जाने दो नाक-


लाशों पर टेबुल सजे, बैठे भारत पाक |
काली कॉफ़ी पीजिये, कट जाने दो नाक |

कट जाने दो नाक, करें हमले वे दैनिक |
मरती जनता आम, मरें सीमा पर सैनिक |

रविकर कर आराम, बैठ प्रभुसत्ता नाशो |
  फिर टकराओ जाम, अरी सरकारी लाशों ||  

Express Adda : राहुल गांधी के वक्‍तव्‍य - 2013

Kulwant Happy 
शक्ति मिली परिवार से, किन्तु कहाँ परवाह |
लगे बड़े परिवार की, अब बकवास सलाह |
अब बकवास सलाह, जहर सत्ता का ताड़ा |
अब पानी में डाल, उगाने लगे सिंघाड़ा |
सिंह सिंघाड़ा खाय, मौन होती अभिव्यक्ती |
भस्मासुर तो नाय, इकठ्ठा सारी शक्ती ||

8 comments:

  1. बहुत सुन्दर और सटीक लिखा है !!

    ReplyDelete
  2. नमस्कार आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (22-09-2013) के चर्चामंच - 1383 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ

    ReplyDelete

  3. दागी अध्यादेश पर, तीन दिनों में खाज |
    श्रेष्ठ मुखर-जी-वन सदा, धत मौनी युवराज |

    धत मौनी युवराज, बड़े गुस्से में लालू |
    मारक मिर्ची तेज, चाट ले किन्तु कचालू |

    सुबह मचाये शोर, नहीं महतारी जागी |
    शीघ्र बुला के प्रेस, गोलियां भर भर दागी ||

    कह दिनकर कविराय ,दाल न गलने वाली

    लाख सुनाये ,ललुवा लाली तुमको गारी .

    क्या बात है रविकर जी छा गए .

    ReplyDelete
  4. सुबह मचाये शोर, नहीं महतारी जागी |
    शीघ्र बुला के प्रेस, गोलियां भर भर दागी ||

    बहुत सुंदर !!!

    ReplyDelete
    Replies
    1. मेरी रचना में काव्यमय कमेंट्स देने एवं रचना शामिल करने के लिए आभार,,,

      Delete
  5. आपकी टिप्पणी से एक चाँद चार चाँद हो गया !

    ReplyDelete
  6. क्या बात ......बहुत सुंदर,,,,,

    ReplyDelete
  7. लिंक्स पर बेहतरीन कुंडलियाँ |

    ReplyDelete