घुसपैठ
Onkar
कविताएँ
खाली कक्षा पाय के, कर बैठे घुसपैठ ।
इतने विचलित क्यूँ हुवे, रहे व्यर्थ ही ऐंठ । रहे व्यर्थ ही ऐंठ , पलक पांवड़े बिछाओ । पल दो पल सुस्ताय, नाश्ता पानी लाओ । मीठी मीठी बात, सरस भावों की प्याली । समझ-बूझ हालात , लात ना खाओ खाली ॥ |
सजाये मौत पहले बहस मौत के बाद !
Sushil Kumar Joshi
नारि-सुरक्षा पर खड़े, यक्ष प्रश्न नहिं स्वच्छ |
सजा मीडिया कक्ष पर, मचता रहा अकच्छ |
मचता रहा अकच्छ, बचा नाबालिग मुजरिम |
लचर व्यवस्था नीति, सजा की गति भी मद्धिम |
आजादी की चाह, राह पर कड़ी परीक्षा |
कर लें स्वयं सलाह, तभी हो नारि-सुरक्षा ||
अफजल हुआ फरार, मुलायम राहत पाए-
समाचार-
एम् एल ए भाजपा का, गिरफ्तार आभार |
आतंकी दुर्दांत पर, अफजल हुआ फरार |
अफजल हुआ फरार, मुलायम राहत पाए |
ख़ुशी ख़ुशी सरकार, कई बिल पास कराये |
जनरल की अब जांच, संग मोदी के बैठे |
एम् पी में शिवराज, नहीं जानूं क्यूँ ऐंठे ||
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मुर्गे बड़े सुकून में, जब से मँहगा प्याज |
झटके और हलाल से, मनुज मिटाते खाज |
मनुज मिटाते खाज, मुजफ्फर नगर बना के |
बिन हर्रे फिटकरी, प्याज बिन पर्व मना के |
पाते बेहतर स्वाद, लड़ाके रविकर गुर्गे |
नेताओं को दाद, बांग दे देते मुर्गे ||
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देह देहरी दुर्ग, सुरक्षित शिशु-अबलायें -
कुण्डलियाँ छंद
जन्नत बन जाता जहाँ, बसते जहाँ बुजुर्ग ।
इनके रहमो-करम से, देह देहरी दुर्ग ।
देह देहरी दुर्ग, सुरक्षित शिशु-अबलायें ।
इनका अनुभव ज्ञान, टाल दे सकल बलाएँ ।
हाथ परस्पर थाम, मान ले रविकर मिन्नत ।
बाल-वृद्ध सुखधाम, बनायें घर को जन्नत।।
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नारी खाप पंचायते जरूरी हैं !
ReplyDeleteवाह ! बहुत खूब,
ReplyDeleteRECENT POST : हल निकलेगा
अजी कैसी सुरक्षा ,.......यही हकीकत है आज के भारत की यहाँ के नागर बोध की .सिविलिटी का पैमाना होता है किसी समाज में नारी का स्थान उसकी संरक्षा .
ReplyDeleteदुश्मन कोई भी सीने से लगाना नहीं भूले ,
ReplyDeleteहम अपने बुजुर्गों का ज़माना नहीं भूले .
जन्नत बन जाता जहाँ, बसते जहाँ बुजुर्ग ।
इनके रहमो-करम से, देह देहरी दुर्ग ।
देह देहरी दुर्ग, सुरक्षित शिशु-अबलायें ।
इनका अनुभव ज्ञान, टाल दे सकल बलाएँ ।
हाथ परस्पर थाम, मान ले रविकर मिन्नत ।
बाल-वृद्ध सुखधाम, बनायें घर को जन्नत।।
बढ़िया प्रस्तुति .
दुश्मन कोई भी सीने से लगाना नहीं भूले ,
ReplyDeleteहम अपने बुजुर्गों का ज़माना नहीं भूले .
जन्नत बन जाता जहाँ, बसते जहाँ बुजुर्ग ।
इनके रहमो-करम से, देह देहरी दुर्ग ।
देह देहरी दुर्ग, सुरक्षित शिशु-अबलायें ।
इनका अनुभव ज्ञान, टाल दे सकल बलाएँ ।
हाथ परस्पर थाम, मान ले रविकर मिन्नत ।
बाल-वृद्ध सुखधाम, बनायें घर को जन्नत।।
बढ़िया प्रस्तुति .
अजी कैसी सुरक्षा ,.......यही हकीकत है आज के भारत की यहाँ के नागर बोध की .सिविलिटी का पैमाना होता है किसी समाज में नारी का स्थान उसकी संरक्षा .
ReplyDeleteदुश्मन को भी सीने से ,लगाना नहीं भूले ,
ReplyDeleteहम अपने बुजुर्गों का ज़माना नहीं भूले .
जन्न
त बन जाता जहाँ, बसते जहाँ बुजुर्ग ।
इनके रहमो-करम से, देह देहरी दुर्ग ।
देह देहरी दुर्ग, सुरक्षित शिशु-अबलायें ।
इनका अनुभव ज्ञान, टाल दे सकल बलाएँ ।
हाथ परस्पर थाम, मान ले रविकर मिन्नत ।
बाल-वृद्ध सुखधाम, बनायें घर को जन्नत।।
नारि-सुरक्षा पर खड़े, यक्ष प्रश्न नहिं स्वच्छ |
सजा मीडिया कक्ष पर, मचता रहा अकच्छ |
मचता रहा अकच्छ, बचा नाबालिग मुजरिम |
लचर व्यवस्था नीति, सजा की गति भी मद्धिम |
आजादी की चाह, राह पर कड़ी परीक्षा |
कर लें स्वयं सलाह, तभी हो नारि-सुरक्षा ||
अजी कैसी सुरक्षा ,.......यही हकीकत है आज के भारत की यहाँ के नागर बोध की .सिविलिटी का पैमाना होता है किसी समाज में नारी का स्थान उसकी संरक्षा .
बहुत सुन्दर पोस्ट
ReplyDeleteHow to repair a corrupted USB flash drive
वाह बहुत खूब-
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति
सादर
nice
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