Thursday, 21 January 2016

सीरिया के हालात पर -

(1)
लाम बंद हैं सिरफिरे, फैलाएं आतंक।
माँ-बहनों के बदन पर, स्वयं मारते डंक।
स्वयं मारते डंक, मचाएं कत्लो-गारद।
मुल्ला पंडित मौन, मौन नेता गण नारद। 
आएंगे बरबंड, तनिक रफ़्तार मंद है |  
मियां म्यान दरम्यान, वहीँ इस्लाम बंद है।

(२)
असली नकली में फंसा, कभी नही शैतान।
जुल्म सदा शैतान का, भोगा हिंदुस्तान।
भोगा हिंदुस्तान, मान ले मेरा कहना |
सब के सब धर्मांध, पड़ेगा इनको सहना |
हुवे अगर कमजोर, यही शैतनवा मसली |
लेगा तुम्हे खखोर, यही संकटवा असली ||

(1)
रोया पाकिस्तान फिर, किन्तु हँसा इस्लाम।
कभी शिया मस्जिद उड़ी, मंदिर कभी तमाम।

मंदिर कभी तमाम, चर्च गुरुद्वारे उड़ते ।
चले तोप तलवार, सैकड़ों किस्से जुड़ते।

धरती वह अभिशप्त, क़त्ल-गारद की गोया।
सदा बहेगा रक्त, जहाँ था मानव रोया।

(2)
बोये झाड़ अफीम के, कहाँ उगे फिर नीम ।
खतरे नीम हकीम के, समझो राम-रहीम।

समझो राम-रहीम, नशे का धंधा चोखा।
फिदायीन तैयार, नहीं देंते ये धोखा।

उन्हें हूर की फ़िक्र, जमाना चाहे रोये।
कभी करें ना जिक्र, कहाँ क्यों कैसे बोये।।

(3)
पेशावर फिर से मरा, उठे कई ताबूत।
बड़ा बुरा आतंक यह, मरते पाकी पूत।

मरते पाकी पूत, अगर भारत पर चढ़ते।
कहते झूठ सुबूत, कहानी झूठी गढ़ते।

अपनी करनी भोग, भोगना पड़े हमेशा।
वह अच्छा आतंक, बुरा उनका यह पेशा।।

1 comment: