Thursday, 28 January 2016

हो हल्ला हरगिज नहीं, हरगिज नहीं प्रलाप-


 
गलती होने पर करो, दिल से पश्चाताप |हो हल्ला हरगिज नहीं, हरगिज नहीं प्रलाप |

हरगिज नहीं प्रलाप, हवाला किसका दोगे |जौ-जौ आगर विश्व, हँसी का पात्र बनोगे |

ऊर्जा-शक्ति सँभाल, नहीं दुनिया यूँ चलती |तू-तड़ाक बढ़ जाय, जीभ फिर जहर उगलती ||

4 comments:

  1. सत्य वचन । आभार

    ReplyDelete
  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (30-01-2016) को "प्रेम-प्रीत का हो संसार" (चर्चा अंक-2237) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    ReplyDelete