Wednesday, 27 January 2016
आतंकी माहौल, फटें बम साँझ-सवेरे-
मेरे हिन्दुस्तानियों, मेल-जोल का वक्त |
मनमुटाव हरगिज नहीं, नहीं बहाना रक्त |
नहीं बहाना रक्त, बहाना नहीं बनाना |
माना नाना भेद, किन्तु सबको समझाना |
आतंकी माहौल, फटें बम साँझ-सवेरे |
सजग रहें हम लोग, सजग ज्यूँ योद्धा मेरे |-
1 comment:
Unknown
27 January 2016 at 09:27
प्रेरक रचना ।
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प्रेरक रचना ।
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