चाचा चालें चल चुके, चौपट चम्प-गुलाब |
शालीमार-निशात सब, धूल-धूसरित ख़्वाब ||
चारों दिशा उदास हैं, फैला है आतंक |
जिम्मेदारी कौन ले, मारे शासन डंक ||
भ्रष्टाचार
भूमंडलीय फिनोमिना (1983 )
माता के व्यक्तव्य से, बाढ़ा हर दिन लोभ |
भ्रष्टाचारी देव को, चढ़ा रहे नित भोग ||
पानी ढोने का करे, जो बन्दा व्यापार |
मुई प्यास कैसे भला, सकती उसको मार ||
काजल की हो कोठरी, कालिख से बच जाय |
हो कोई अपवाद गर , तो उपाय बतलाय ||
मिस्टर क्लीन (1989)
माता के उपदेश को , भूले मिस्टर क्लीन,
राज हमारा बनेगा , भ्रष्टाचार विहीन |
भ्रष्टाचार विहीन, नहीं मैं माँ का बेटा,
भ्रष्टाचार विहीन, नहीं मैं माँ का बेटा,
सारे दागी लोग , अगरचे नहीं लपेटा |
पर"रविकर"आदर्श, बड़ा वो चले दिखाने |
दागै लागे तोप, उन्हीं पर कई सयाने ||
शुक्रिया रविकर भाई !अमर -वेळ बन चकी शासन की वंश वेळ के जिस अंदाज़ में आपने पोल खोली है उस बेहतरीन अंदाज़ को सलाम ,केंटन (मिशिगन )के शतश :प्रणाम ।
ReplyDelete४३३०९,सिल्वर -वुड ड्राइव ,केंटन ,मिशिगन -४८ १८८
दूर ध्वनी :००१ -७३४ -४४६ -५४५१
भारत के समय में ढाई घंटा जोड़ दीजिये दिन का रात और रात का दिन कर दीजिये केंटन का समय पता चल जाएगा .मसलन फिल वक्त भारत में शाम के साढ़े बजे हैं १८ जून के और यहाँ सुबह के दस .
भाई साहब नीम निम्भोरी ताज़ा सामिग्री उपलब्ध है .और दोहावली आगे बढ़ेगी इन्हें बांचकर .शुक्रिया इस खूबसूरत आगाज़ के लिए जिसे अंजाम तक ले जाना है .
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ...
ReplyDeleteरविकर दोहावली "कश्मीर -मिस्टर क्लीन तक "आज के राम राम भाई और कबीरा खडा बाज़ार में भी प्रकाशित है .आपका आभार .
ReplyDeletePost a Comment On: ram ram bhai
ReplyDelete"रविकर दोहावली :चाचा चालें चल चुके चौपट चम्प गुलाब ."
3 Comments - Show Original Post Collapse comments
Blogger Vivek Jain said...
वाह सर, कमाल का सटीक आलेख लिखा है आपने,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
June 18, 2011 11:32 AM
Delete
Blogger ved parkash said...
Achha likha aapne
June 18, 2011 12:08 PM
Delete
Blogger veerubhai said...
विवेक जैन जी ,वेद प्रकाश जी कमाल तो उस बुनकर का है जिसका नाम रविकर है जिसने इन आंकड़ों को दोहों में समेट दिया है बनके "सतसैया के दोहरे ज्यों नावक के तीर ,देखन में छोटे लगें ,घाव करें गंभीर "
June 18, 2011 1:05 PM
Delete
वीरू भाई ! ने मुझे शायर बना दिया |
ReplyDeleteन - न
पागल होने की इधर कोई बात नहीं ||
शायर बनने की मगर थी औकात नहीं ||
आपका आशीर्वाद चाहिए |
यह अलग तरह की दीवानगी है
सच, भाई जी !!
अच्छा पागलपन है ||
विवेक जैन जी ,वेद प्रकाश जी,
ReplyDeleteसंगीता स्वरुप ( गीत ) जी,
शुक्रिया
बहुत-बहुत आभार |
वीरुभाई की कृपादृष्टि रही है इसके
संयोजन में ||
धन्यवाद वीरुभाई ||
आदरणीय रविकर जी सत्य कथन अभी यही दिखाई भी दे रहा है कीचड की होली न जाने अंत क्या होने जा रहा है -
ReplyDeleteधन्यवाद आप का सुन्दर रचना प्रस्तुति
पर"रविकर"आदर्श, बड़ा वो चले दिखाने |
दागै लागे तोप, उन्हीं पर कई सयाने ||
शुक्ल भ्रमर ५
शुक्रिया
ReplyDeleteबहुत-बहुत आभार |