मिला बाज को काज अनोखा, करता चिड़ियों की रखवाली |
शीत-घरों की सकल व्यवस्था, चूहों ने चुपचाप सँभाली |
दुग्ध-केंद्र मे धामिन ने जब, गाय-भैंस पर छान्द लगाया |
मगरमच्छ ने अपनी हद में, मत्स्य-केंद्र मंजूर कराया ||
महाघुटाले - बाजों ने ली, जब तिहाड़ की जिम्मेदारी |
अंग-रक्षकों ने मालिक की, ले ली जब से मौत-सुपारी |
तिलचट्टों ने तेल कुओं पर, अपनी कुत्सित नजर गढ़ाई |
जल्लादों ने झपटी झट से, पूजा-घर की कुल मुख्तारी ||
संविधान की रक्षा करने, चले उचक्के अत्याचारी ||
तो रक्त-कोष की पहरेदारी, नर-पिशाच के जिम्मे आई ||
अंग-रक्षकों ने मालिक की ले ली जब से मौत-सुपारी |
ReplyDeleteलुटती राहें, करता रहबर उस रहजन की ताबेदारी ||
शीत-घरों के बोरों की रखवाली चूहों का अधिकार |
भले-राम की नैया खेवें, टुंडे-मुंडे बिन पतवार ||
आपकी प्रस्तुति अद्भुत स्वरुप लिए आती है.बहुत खूब.
आपकी अमूल्य टिप्पणियों
ReplyDeleteका करता हूँ दिल से इन्तजार |
क्योंकि भर रही हैं मुझ मे
ये आत्म-विश्वास अपार ||
शीत घरों के बोरों की रखवाली ,चूहों का अधिकार ।
ReplyDeleteभले राम की नैया खेवें टुंडे मुंडे बिन पतवार ।
नैया खेवें तो भी ठीक ये गणतंत्री चूहे तो लोक तंत्र को कुतर कुतर खा रहें हैं .
ये गणतंत्री चूहे तो लोक तंत्र
ReplyDeleteको कुतर कुतर खा रहें हैं .
हाँ |
अफ़सोस ||