Monday, 20 June 2011

खोया इक फालोवर मेरा, सुनो गुरूजी ||

खोया  इक फालोवर मेरा, सुनो गुरूजी |
खोया  इक  फालोवर मेरा, सुनो गुरूजी ||
खोया  इक  फालोवर मेरा, सुनो गुरूजी ||
चार चाँद का सुन्दर चंदा  
नजर लगाये  कोई गन्दा
कंगाली में आंटा गीला
ढूंढ़ के ला दो भूला-बन्दा
सुबह गई अब हुआ अँधेरा, सुनो गुरूजी |
खोया  इक  फालोवर मेरा, सुनो गुरूजी ||

12 comments:

  1. कोई नहीं खोता जल्द ही मिल जायेगा और यदि कोई चला भी गया है तो कोई बात नहीं जो अपना था ही नहीं उसके जाने का गम नहीं .

    ReplyDelete
  2. जल्द ही मिल जायेगा आप से दूर कौन जायेगा... सुन्दर....

    ReplyDelete
  3. आपका फोलोवर कहीं नहीं जाएगा, लेकिन कविता पढ़कर आनन्‍द बहुत आया। एक फोलोवर तो मैं बन जाती हूँ।

    ReplyDelete
  4. दर असल लिस्ट में 9 हैं पर दीखते 8 हैं | hide ख़ाली है --कई दिनों से परेशां हूँ |
    शायद कोई दो ID से बन गया होगा फालोवर ||
    स्वागत है आप सभी का --
    देवियों का | सज्जनों का भी |
    आभार |

    ReplyDelete
  5. नौ छ: करते जीवन बीता ,
    घर पर रक्खी देखी गीता ।
    सुन्दर ,मनोहर ।
    दो लाइनें फोलोवर के लिए भी -
    जाइए आप कहाँ जायेंगें ,
    ये नजर लौट के फिर आएगी ,दूर तक आपके पीछे पीछे मेरी आवाज़ चली जायेगी .

    ReplyDelete
  6. आभार |
    काम चालू है |
    जरा
    dcgpthravikar .blogspot .com पर
    घूम लें |

    ReplyDelete
  7. let us hope he will be back.

    ReplyDelete
  8. मिला कि नहीं

    ReplyDelete
  9. hide ख़ाली है --कई दिनों से परेशां हूँ |
    खैर दर्शनप्रसून जी आये, स्वागत है बन्धु |
    पर समस्या वही है dashboard और फ्रंट-पेज की गिनती नहीं मिल रही |
    आभार -
    हाल-चाल पूछने के लिए |

    ReplyDelete
  10. लो हो गए पूरे ,काम अधूरे -
    फुर्सत मिली तो जाना ,सब काम हैं अधूरे
    क्या क्या करें जहां में दो हाथ आदमी के ,
    अच्छे, कभी बुरे हैं ,हालात आदमी के ,
    पीछे पड़ें हुएँ हैं ,दिन रात आदमी के .
    इत्ती भीड़ में किसे ढूंढ रहे हो भैया ?

    ReplyDelete
  11. टिप्पणी देकर प्रोत्साहित करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
    आपके सभी फोलोवेर हमेशा आपके ब्लॉग पर आते रहेंगे! बहुत सुन्दर प्रस्तुती!

    ReplyDelete
  12. बहुत बहुत आभार |

    ReplyDelete